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शेम-शेम सरकार… राज्य में हर २ महीने में साढ़े चार हजार ‘बेटियां’ लापता!… हाई कोर्ट ने जताई चिंता, महाराष्ट्र सरकार को दिया सख्त आदेश

सामना संवाददाता / मुंबई

महिलाओं के लिए विभिन्न आर्थिक योजनाओं की घोषणा करने वाली सरकार `लाडली बेटियों’ और `प्यारी बहनों’ की सुरक्षा में विफल साबित हो रही है। सुरक्षा के उपाय केवल कागजों तक सीमित रह गए हैं, जिसके कारण राज्य में लड़कियों और महिलाओं के लापता होने का सिलसिला जारी है। राज्य में `बहन-बेटियों’ की सुरक्षा का सवाल शुक्रवार को उच्च न्यायालय में गंभीर रूप से सामने आया।
बता दें कि पूरे राज्य में हर दो महीने में लगभग चार से साढ़े चार हजार लड़कियां और महिलाएं लापता हो रही हैं। पिछले दो वर्षों में लापता हुई महिलाओं और लड़कियों का आंकड़ा अत्यंत चिंताजनक है, ऐसा दावा याचिकाकर्ताओं ने किया। इस पर न्यायालय ने भी चिंता व्यक्त की और लापता लड़कियों और महिलाओं का पता लगाने के लिए उठाए गए कदमों का खुलासा अतिरिक्त हलफनामे के जरिए करने का सख्त आदेश राज्य सरकार को दिया। इस मामले की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए पूर्व सैनिक शहाजी जगताप ने एडवोकेट मंजरी पारसनीस के माध्यम से जनहित याचिका दायर की। इस याचिका पर शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश आलोक आराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। इस दौरान सरकार के कागजी दावों और जमीनी हकीकत के बीच गंभीर अंतर पर एडवोकेट मंजरी पारसनीस ने अदालत का ध्यान आकर्षित किया। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पिछली सुनवाई में सरकार की ओर से पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला ने हलफनामा पेश किया था, जिसमें २०२३ और २०२४ में लापता हुई महिलाओं और लड़कियों का आंकड़ा छुपाया गया था। इन दो वर्षों में लापता महिलाओं और लड़कियों की संख्या एक लाख से अधिक है। हर दो महीने में लगभग चार से साढ़े चार हजार लड़कियां और महिलाएं लापता हो रही हैं।

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