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शर्मनाक! शर्मनाक! शर्मनाक! … मुंबई जैसे महानगर में टॉर्च की रोशनी में ऑपरेशन! … जच्चा-बच्चा की मौत

 ट्रिपल इंजिन सरकार का सच
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मुंबई और महाराष्ट्र समेत पूरे देश में जहां चुनावी बिगुल बजा हुआ है, पूरा तंत्र लोकतंत्र के इस पवित्र उत्सव को बिना किसी विध्न के पूरा करने में जुटा हुआ है, वहीं मायानगरी मुंबई में एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने दिल को झकझोर कर रख दिया है। ट्रिपल इंजिन सरकार का पाप सामने आया है। मनपा के एक प्रसूतिगृह में टॉर्च की रोशनी में ऑपरेशन किया गया, जिसमें जच्चा और बच्चा दोनों की मौत हो गई।
मिली जानकारी के अनुसार, उस समय अचानक बिजली कट गई, जब ओटी में गर्भवती महिला की सिजेरियन चल रही थी। अंधेरा होते ही खलबली मच गई। ऐसे में मेडिकल स्टाफ को टॉर्च की रोशनी में सिजेरियन करना पड़ा। मुंबई जैसे शहर में हुई इस घटना ने न केवल मनपा, बल्कि ट्रिपल इंजिन सरकार को शर्मसार कर दिया है।

जच्चा-बच्चा की मौत जांच करेगी समिति
उत्तर पूर्वी मुंबई में चुनावी गहमागहमी के बीच भांडुप के सुषमा स्वराज मनपा प्रसूतिगृह में एक चौंकानेवाली घटना सामने आई है। टॉर्च की रोशनी में ऑपरेशन के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। अब इस घटना की जांच के लिए एक समिति गठित कर दी गई है।
बता दें कि भांडुप में रहनेवाली गर्भवती सोदीनिस्सा अंसारी को प्रसव पीड़ा के बाद उसके परिजनों ने सोमवार की शाम करीब साढ़े पांच बजे सावित्रीबाई फुले प्रसूतिगृह में भर्ती कराया था। हालांकि, इस बीच महिला की सामान्य प्रसूति कराने की कोशिश की गई, लेकिन देर रात अचानक स्थिति बिगड़ने के बाद उसे अस्पताल के ओटी में ले जाया गया। वहां महिला की करीब साढ़े बारह बजे सिजेरियन शुरू की गई। जिस समय सर्जरी चल रही थी, उसी समय अचानक अस्पताल की बिजली गुल हो गई। ऐसे में ओटी में मौजूद चिकित्सकों और मेडिकल स्टाफ में भगदड़ मच गई। साथ ही उन्हें बाध्य होकर टॉर्च की रोशनी में सर्जरी पूरी करनी पड़ी। हालांकि, इस दौरान चिकित्सक पेट में पल रहे बच्चे को नहीं बचा सके। दूसरी तरफ महिला की तबियत ज्यादा बिगड़ने के बाद उसे सायन अस्पताल में रेफर कर दिया गया। महिला को परिजनों ने बिना देर किए सायन अस्पताल में भर्ती तो करा दिया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई। इस घटना ने मनपा द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर किए जानेवाले दावों की पोल खोल दी है।
परिजनों ने मचाया हंगामा
बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा मचाना शुरू कर दिया। उनका आरोप है कि अस्पताल में कुछ घंटों के भीतर ही चार से पांच बार बिजली गुल हुई थी। इसके साथ ही अस्पताल का जनरेटर भी काम नहीं कर रहा था। फिर भी डॉक्टरों ने मैटरनिटी में ही सर्जरी करने का पैâसला किया। इसके चलते जच्चा और बच्चा दोनों की जिंदगी खत्म हो गई। परिजनों ने कहा कि यदि चिकित्सक चाहते तो पहले ही घाटकोपर के राजावाड़ी और सायन अस्पताल में भेज सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। आरोप है कि उपनगर में प्रशासन की लापरवाही के कारण नवजात शिशु की मृत्यु कोई पहली घटना नहीं है। ऐसी घटनाओं से यह साफ है कि यहां की स्वास्थ्य प्रणाली रामभरोसे चल रही है। परिजन संबंधित डॉक्टरों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
गठित हुई जांच समिति
मनपा की स्वास्थ्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दक्षा शाह ने कहा कि इस मामले के संज्ञान में आते ही करीब १० महिला रोग विशेषज्ञों की समिति गठित की गई है। इसमें बाहरी डॉक्टरों का भी समावेश है। यह समिति मामले की जांच में जुट गई है। अगले सप्ताह तक जांच रिपोर्ट मिल जाएगी। उसके बाद दोषी पाए जाने पर संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्राथमिक जानकारी के मुताबिक, महिला को जिस समय प्रसूति गृह में भर्ती कराया गया था, उसकी हालत बहुत गंभीर थी। पूर्व नगरसेविका जागृति पाटील ने कहा कि इस घटना से पहले भी ऐसी घटना हुई थी जिसमें बच्चा रो रहा था, इसलिए उसके मुंह पर एक नर्स ने पट्टी चिपका दी थी। इसके अलावा एक अन्य घटना में सर्जरी के दौरान महिला के पेट में कॉटन छोड़ दिया गया था। इसके बावजूद संबंधित डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। फिलहाल इस घटना के खिलाफ विरोध व्यक्त करते हुए पुलिस द्वारा संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

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