उमेश गुप्ता / वाराणसी
सेंट्रल बार एसोशिएशन के अध्यक्ष मंगलेश दुबे एवं बनारस बार एसोशिएशन के अध्यक्ष सतीश तिवारी ने संयुक्त रूप से केदारघाट के बगल में स्थित श्रीविद्यामठ में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती जी महाराज के चरण पादुका का पूजन कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस अवसर अपना आशीर्वचन प्रदान करते हुए परमधर्माधीश शंकराचार्य जी महाराज ने कहा की भारतीय न्याय व्यवस्था धर्म शास्त्र के अनुकूल है। आजकल संविधान को मानने वाले धर्म शास्त्र से अपनी दूरी समझते हैं। हम चाहते हैं कि संविधान के विशेषज्ञ और धर्म शास्त्र के जानकार दोनो मिलकर एक साथ बैठें, जिससे संविधान दोनों में विरोधाभास समाप्त हो। षंकराचार्य जी ने कहा कि उनकी इच्छा है कि धर्म शास्त्र के मुकदमों को वाराणसी न्यायालय में धर्म शास्त्रों के अनुसार ही लड़ा जाए।
उक्त अवसर पर सेंट्रल बार एसोशिएशन के अध्यक्ष मंगलेश दुबे ने से कहा कि न्याय भी धर्म अंग है। समाज न्याय से वंचित होकर नही चल सकता है। अधिवक्ता धर्म है कि समाज का कोई भी व्यक्ति न्याय से वंचित न रह जाए इस बात को सुनिश्चित करें।
इस अवसर पर सतीश तिवारी ने कहा कि पहले जब न्यायपालिका नहीं होती थी तो राजा गुरु से पूछकर न्याय करते थे और आज भी हमलोग के सनातन धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु शंकराचार्य जी के शरण मे आए हैं, ताकि न्यायपथ पर चल सकें।
सेंट्रल एवं बनारस बार के नवनिर्वाचित अध्यक्षद्वय मंगलेश दुबे एवं सतीश तिवारी का नागरिक अभिनंदन पूर्व संयुक्त सचिव उत्तरप्रदेश शासन अजय पाण्डेय, न्याय सेवालय के डॉ गिरीश चंद्र तिवारी, रमेश उपाध्याय जी के संयुक्त नेतृत्व सामूहिक रूप से किया गया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से विश्वनाथ मंदिर महंत राजेंद्र तिवारी, प्रजानाथ शर्मा, डॉ. साकेत शुक्ला, संजीव सिंह, संजय राय, चंचल सतीश कसेरा, डॉ. उमापति उपाध्याय, शिवकुमार पाण्डेय, कीर्ति हजारी शुक्ला, भोला यादव, महेंद्र यादव, अतुल पाण्डेय, अतुल त्रिपाठी, शशांक श्रीवास्तव, ए.के.द्विवेदी, विनोद शुक्ला, प्रथमेश पाण्डेय, एस.के.द्विवेदी, विनय राय, विंध्याचल चौबे, आनंद विजय, सतीश अग्रहरी, किशन जयसवाल सहित भारी संख्या में अधिवक्तागण उपस्थित थे।