अजीत पवार और उनके परिवार ने भ्रष्टाचार के जरिए महाराष्ट्र को लूटा है, ऐसा गंभीर आरोप प्रधानमंत्री मोदी ने सार्वजनिक तौर पर लगाया था। उसे अभी एक साल भी नहीं हुआ होगा। अजीत पवार ने शिखर बैंक में करोड़ों का गबन और राज्य सहकारी बैंक में ७० हजार करोड़ रुपए का सिंचाई घोटाला किया। प्रधानमंत्री मोदी उसके लिए अजीत पवार को जेल में डालने निकले थे। देवेंद्र फडणवीस ने धमकाते हुए कहा था कि वे भ्रष्टाचारी अजीत पवार को जेल में चक्की पिसवा कर ही दम लेंगे, लेकिन पवार और उनका परिवार भाजपा में शामिल हो गया और इसलिए मोदी, फडणवीस और उनकी जांच-एजेंसियों ने इन सब घोटालों से अजीत पवार को ‘क्लीन चिट’ दे दी। इससे यह धारणा टूट गई है कि देश का प्रधानमंत्री जब बोलता है तो सच ही बोलता होगा। अजीत पवार अब भाजपा के खेमे में आ गए हैं और उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार बारामती सीट से सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। इनाम के तौर पर भाजपा ने पवार और उनकी पत्नी को घोटाले से मुक्त कर दिया। यदि अजीत पवार वास्तव में ‘क्लीन’ या निर्दोष हैं, तो यह कहा जाना चाहिए कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनके खिलाफ आरोपों के बारे में स्पष्ट रूप से झूठ बोला। नरेंद्र मोदी को इस झूठ के लिए पूरे पवार परिवार और महाराष्ट्र से माफी मांगनी चाहिए। अजीत पवार के घोटाले की जांच कर रही क्राइंम ब्रांच ने एलान किया कि अजीत पवार निर्दोष हैं। शिखर बैंक को ऋण वितरण और जरंडेश्वर साखर (चीनी) कारखाना की बिक्री में कोई घाटा नहीं हुआ है। जरंडेश्वर साखर कारखाना का मसला मुलुंड के बेशर्म पोपटलाल किरीट सोमैया ने उठाया था। शिखर बैंक ने गुरु कमोडिटी प्रा. लिमिटेड को जरंडेश्वर साखर कारखाना ६५ करोड़ रुपए में बेच दिया। दरअसल, संपत्ति की कीमत कई गुना ज्यादा थी, लेकिन कारखाना सस्ते में खरीद लिया गया और तुरंत निजी जरंडेश्वर शुगर मिल को पट्टे पर दे दिया गया। इस सब में अजीत पवार और उनका परिवार शामिल था। नेशनल बोर्ड ऑफ एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट यानी नाबार्ड ने २०११ में शिखर बैंक में हुए इस लेन-देन की जांच की थी और बैंक को १४४ करोड़ रुपए का घाटा होने की बात कही थी। बैंक के निदेशक मंडल पर सभी नियमों को ताक पर रखकर सहकारी चीनी मिलों को बेचने और सूत मिलों को मनमाने तरीके से ऋण आवंटित कर बैंक को घाटे में लाने का आरोप लगाया गया था। शिखर बैंक मामले में भाजपा द्वारा अजीत पवार को जेल में डालने की धमकी और गिरफ्तारी के डर से अजीत पवार ४० एनसीपी विधायकों के साथ भाजपा के तंबू में घुस गए। नतीजा ये हुआ कि अब अजीत पवार को इस घोटाले से बरी होने का इनाम मिला। यह भी पुलिस व्यवस्था को कमजोर करने का एक रूप है। अपने राजनीतिक विरोधियों को दबाव में लाने के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल किया और जब ये लोग भाजपा में आए तो उन्हीं जांच एजेंसियों से इन्हें ‘क्लीन चिट’ दिलवा दी गई। बेशर्म महाराज किरीट सोमैया को अब भाजपा मुख्यालय में अजीत पवार का नागरिक अभिनंदन करना चाहिए। इन बेशर्म महाराज को बड़ा रश्क था कि ‘जरंडेश्वर पैâक्ट्री में घोटाला हुआ है और इसका ‘हिसाब’ अजीत पवार को देना ही होगा इसलिए झूठे आरोप लगाने वाले इस बेशर्म महाराज को अदालत में घसीटा जाना चाहिए और यह काम अजीत पवार के स्वाभिमानी परिवार द्वारा किया जाना चाहिए। मोदी और उनके लोग या तो झूठ बोलते हैं या भ्रष्ट लोगों को संरक्षण देकर लूटने वाले गिरोह के साथ साझेदारी करते हैं। अगर अजीत पवार न डरे होते और उन्होंने साहस से काम लिया होता तो उनका बाल भी बांका नहीं होता, लेकिन भाजपा के पास लोगों को डराने और आतंक पैदा करने का तंत्र है। मोदी, फडणवीस, अमित शाह के हाथ में ईडी, सीबीआई, पुलिस है इसलिए वे सीना फुलाकर चलते हैं और बात करते हैं। असल में उनका सीना एक खाली माचिस का डिब्बा है। एकनाथ शिंदे और उनके लोग भी इसी डर से भाग गए। उन्हें जांच और गिरफ्तारी का डर दिखाया गया और उनके कमर के वस्त्र गीले हो गए। शिंदे कहते हैं कि ठाकरे सरकार फडणवीस, दरेकर, गिरीश महाजन, लाड आदि लोगों को गिरफ्तार करने जा रही थी। यह सब कहने के बजाय उन्हें यह बताना चाहिए कि क्यों फडणवीस सरकार शिंदे की गिरफ्तारी की तैयारी कर रही थी और गिरफ्तारी से बचने के लिए वह खुद वैâसे भाग गए और भाजपा के पाले में शामिल हो गए। फडणवीस और उनकी टोली पर भ्रष्टाचार और अवैध फोन टैपिंग के आरोप थे। जांच में ऐसे सबूत सामने आए। जिस क्राइम ब्रांच ने पहले अजीत पवार के घोटाले की जांच की थी और अब क्लीन चिट दे दी है, उसी ने यह जांच की, लेकिन सत्ता में आते ही फडणवीस ने ये सभी जांच बंद कर दी और अपराध रद्द कर दिए। खुद ही खुद को और अपनी टोली को क्लीन चिट देकर मुक्त हो गए। अब अजीत पवार को भी शुद्ध कर दिया। फडणवीस को अजीत पवार को क्लीन चिट देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के हाथों उन्हें शॉल, श्रीफल और सम्मान स्वरूप ताम्रपत्र भेंट करने के लिए एक समारोह का आयोजन करना चाहिए।