माधुरी दीक्षित को अपना रोल मॉडल माननेवाली और पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों ‘इंदिरा गांधी नेशनल अवॉर्ड’ पाने वाली ‘पंचायत ३’ में अपनी बेहतरीन अदाकारी से अपनी एक अलग पहचान बनानेवाली कल्याणी खत्री से उनके जीवन के पहलुओं पर हिमांशु राज से हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
एनएसएस से जुड़कर जीवन में क्या बदलाव आया?
एनएसएस से जुड़ने के बाद मुझे एक सही मार्ग मिला। स्कूल के कार्यक्रमों में हिस्सा लेती थी। राष्ट्रीय सेवा योजना जीवन का जोरदार टर्निंग पॉइंट था। छोटे-छोटे गांवों में जाकर अलग-अलग लोगों से मिलना और बात करना, कैंप लगाना जिसमें ब्लड डोनेशन, मेडिकल और अवेयरनेस कैंप शामिल होते थे। बहुत कुछ सीखा और आज भी सीख रही हूं।
अपने संघर्षों के बारे में कुछ बताइए?
जिनका कोई गॉडफादर नहीं होता, उनके लिए संघर्ष बहुत मुश्किल भरा होता है। मुंबई में कुछ आसान नहीं है। ऐसा नहीं होता कि आपने ऑडिशन दिया और आपको काम मिल गया। मैंने भी बहुत ऑडिशन दिए और बहुत रिजेक्शन झेले, पर अब लोग जानने लगे हैं फिर भी संघर्ष जारी है।
‘पंचायत ३’ के ‘मार के थूथना फुला देंगे’ जैसे देसी संवाद के पीछे झारखंड की स्थानीय भाषा का प्रभाव था या कुछ और?
अगर मैं कोई गलती करती थी तो यह वाक्य मेरी माताजी बचपन में हमेशा बोला करती थीं। मां आज भी कभी-कभी गुस्से में प्रयोग करती हैं मार के थूथना फुला देंगे। जब मुझे स्क्रिप्ट मिली तब उसमें थूथना शब्द नहीं था। इस शब्द का प्रयोग करने से पहले मैंने निर्देशक दीपक मिश्रा से पूछा उन्हें यह शब्द बहुत अच्छा लगा। देसी शब्द था इसलिए लोगों को पसंद आया।
क्या जोगिंदर की मेहरारू वाले किरदार में खुद को ढालना चुनौतीपूर्ण था?
जोगिंदर की मेहरारू वाले चरित्र से मेरा स्वत: ही आत्मीय जुड़ाव हो गया था। मेहनत तो करनी पड़ी, लेकिन मैंने उस चरित्र में अपने आपको आसानी से ढाल लिया।
‘पंचायत ३’ के बाद क्या जीवन में कुछ परिवर्तन आया?
परिवर्तन यही आया है कि लोग जानने लगे हैं और काम मिलने लगा है, परंतु ऑडिशन अभी भी देना पड़ता है। सुखद पहलू यह है कि लोग मेरे काम की तारीफ करते हैं।
पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में कुछ बताएंगी?
मम्मी-पापा सहित चार बहनों का परिवार था। जब मैं ११ साल की थी, पिता का साया सिर से उठ गया। दो बड़ी बहनों का विवाह हो गया है। मुझसे छोटी बहन मेरे साथ मुंबई में रहकर पढ़ाई कर रही है। मेरी मां मेरे साथ ही रहती हैं। वे मेरी बहुत बड़ी ताकत हैं।
बोल्ड विषयों पर बन रही फिल्मों और सीरीज के बारे में आपका क्या कहना है?
जिस तरह की हिंसा, वल्गरनेस व बोल्डेनेस को आजकल ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दिखाया जा रहा है, मैं उसका समर्थन नहीं करती। विषयों को सौम्यता से भी दिखाया जा सकता है। भविष्य का मैं नहीं कह सकती, पर मेरा पूरा प्रयास रहेगा कि ऐसी कोई फिल्म न करूं जो मेरे जमीर को गंवारा न हो।