सामना संवाददाता / मुंबई
महायुति के प्रत्याशियों का चयन भले ही गद्दार मुख्यमंत्री, देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार कर रहे हैं, लेकिन सीट बंटवारे पर मुहर दिल्ली में ही लग रही है। इस बार विधानसभा चुनाव में फंसे पेच को सुलझाने में दिल्ली के भी पसीने छूट रहे हैं। शिंदे और दादा गुट भाजपा पर हावी होते हुए ज्यादा सीटों के लिए अमित शाह पर दबाव बना रहे है। यही कारण शाह के आवास पर घंटों बैठकों के बाद भी सीट बंटवारे का मुद्दा सुलझता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि महायुति में सभी को एक बड़ा हिस्सा चाहिए इसलिए अभी भी कई सीटों का पेच अनसुलझा है। उल्लेखनीय है कि महायुति में सीटों के बंटवारे का मुद्दा सुलझाने में आ रही अड़चनों के चलते गुरुवार को उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले देश के गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर पहुंचे थे। वहां तीनों के बीच में करीब एक घंटे तक चर्चा चली। हालांकि, इस बैठक में किस तरह की रणनीति तय हुई। इसका खुलासा नहीं हो सका है, वहीं दिल्ली के सियासी गलियारों में गलतफहमी या मनमुटाव की चर्चा चल रही है। आखिरकार, गुरुवार सुबह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बैठक के लिए दिल्ली पहुंचे।
भाजपा ने ९९, अजीत पवार ने ३८ और घाती गुट ने ४५ प्रत्याशियों की सूची घोषित कर दी है। इसके बाद अब ३० सीटों पर पेच फंसा हुआ था। हालांकि, अमित शाह की उपस्थिति में हुई बैठक में कुछ सीटों पर सहमति तो बन गई, लेकिन अभी भी कुछ पर असहमति बनी हुई है।
यहां फंसा है पेच
भाजपा ने वसई, विरार, पालघर और बोईसर सीटें छोड़ने की तैयारी दिखाई। नालासोपारा सीट भाजपा ने अपने पास रखी है। आष्टी, वडगांव शेरी और तासगांव सीटों पर भाजपा और अजीत पवार गुट के बीच खींचतान चल रही है। इसके अलावा अमित शाह के साथ बैठक में नवाब मलिक की उम्मीदवारी पर क्या पैâसला हुआ, इस पर भी सस्पेंस बरकरार है।