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शिंदे सरकार के पास नहीं है टाइम … लटकी म्हाडा की लॉटरी!

सामना संवाददाता / मुंबई
चौबीस घंटे काम करने का दावा करनेवाली शिंदे सरकार के पास आम लोगों के लिए समय नहीं है। म्हाडा के मकानों के सपनों को संजोए लोगों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है। चार साल के इंतजार के बाद निकली लॉटरी में फॉर्म और डिपॉजिट के तौर पर लोग लाखों रुपए भर रहे हैं। लॉटरी प्रक्रिया पूर्ण हुए एक महीने से अधिक का समय बीत चुका है। इसके बावजूद अभी तक मकानों की लॉटरी का मुहूर्त नहीं निकल पा रहा है। वहीं मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्रियों को समय नहीं मिलने से जिन लोगों ने उधार या क्रेडिट कार्ड से डिपॉजिट भरा है, उन्हें ब्याज चुकाना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि चार साल बाद ४,०८२ घरों की लॉटरी निकालने का दम भरनेवाली म्हाडा को मुख्यमंत्री के पास से समय नहीं मिलने के कारण लॉटरी में हो रहे विलंब का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इस बार मुंबई म्हाडा बोर्ड ने चार साल बाद छोटे-बड़े मकानों की लॉटरी निकाली है, जिसमें १,२०,१४४ लोग पात्र हुए हैं। फॉर्म भरने की अंतिम तारीख ११ जुलाई थी। म्हाडा ने सभी पात्र आवेदकों की सूची वेबसाइट पर डाल दी थी। लेकिन महीनों बीतने के बाद भी इन मकानों की लॉटरी का मुहूर्त नहीं निकल पा रहा है। नाम न छापने कि शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि म्हाडा कि सारी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है लेकिन मुख्यमंत्री के हाथों लॉटरी संपन्न कराने के चलते विलंब हो रहा है। इस लॉटरी में म्हाडा की तिजोरी में डिपॉजिट के तौर पर ५१९ करोड़ रुपए आ गए हैं। इनमें से अधिकांश लोगों ने कर्ज या क्रेडिट कार्ड से पैसा भरा है, जिसका वे अब १८ प्रतिशत ब्याज भर रहे हैं। म्हाडा उपाध्यक्ष संजीव जायसवाल ने कहा कि विधानसभा सत्र समाप्त होने के बाद जल्द ही लॉटरी पर निर्णय लिया जाएगा।

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