– मुआवजे के लिए धन की कमी
सामना संवाददाता / मुंबई
आगामी विधानसभा चुनावों में हार की आशंका से घबराई शिंदे सरकार द्वारा घोषणाओं की बारिश की जा रही है, लेकिन दूसरी ओर खजाने में धन की कमी का हवाला देते हुए अलिबाग-विरार कॉरिडोर से प्रभावित किसानों को मुआवजा तक नहीं दिया जा रहा है। यही वजह है कि दो सालों में २५ प्रतिशत भूमि अधिग्रहण भी पूरा नहीं हो पाया है और रायगड जिले में इस प्रोजेक्ट के काम को ब्रेक लग गया है। सरकार की इस सुस्ती के कारण परियोजना की लागत में वृद्धि होने की संभावना है।
बता दें कि यह मल्टीमॉडल कॉरिडोर प्रोजेक्ट अलिबाग से विरार तक का हाई-स्पीड एक्सप्रेस-वे है, जिसकी लंबाई १२७ किमी है। यह प्रोजेक्ट मुंबई और मुंबई महानगर क्षेत्र के रायगड, ठाणे, और पालघर जिलों से होकर गुजरेगा। इस प्रोजेक्ट को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में नवघर से बलवली और दूसरे चरण में बलवली से अलिबाग तक का निर्माण होगा। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत २२,३०० करोड़ रुपए है, जिसमें १४,३०० करोड़ रुपये निर्माण पर और ८,००० करोड़ रुपये भूमि अधिग्रहण पर खर्च होने की उम्मीद है।
भूमि अधिग्रहण में चुनौतियां
प्रभावित किसानों को मिलनेवाले मुआवजे से असंतोष और सरकार के पास मुआवजे के लिए धन की कमी के कारण अब तक सिर्फ २७.२१ हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जा सका है। प्रोजेक्ट के पहले चरण में पनवेल, उरण, और पेण तालुकों की ५७६ हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की जानी थी, लेकिन अब तक ४३१ हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण संभव नहीं हो पाया है।
अधिकारियों के जवाब
उपजिलाधिकारी पवन चांडक ने बताया कि भूमि अधिग्रहण के लिए किसानों का कड़ा विरोध और मुआवजा देने के लिए धन की कमी के चलते उरण, पेण और पनवेल में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया ठप हो गई है।