-परेशानियों को और बढ़ा रहा नया शुल्क
-ऑटोरिक्शा चालकों में भारी आक्रोश
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र की शिंदे सरकार की नई लूट पॉलिसी से ऑटोरिक्शा चालकों में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया है। मुंबई में पंजीकृत लगभग ३००,००० ऑटोरिक्शा चालकों से पंजीकरण के नाम पर ५०० रुपए और ३०० रुपए वार्षिक सदस्यता शुल्क के रूप में वसूली के निर्णय से ‘घाती’ सरकार के खिलाफ काफी नाराजगी व्याप्त हो गई है। सरकार द्वारा धर्मवीर आनंद दिघे साहेब महाराष्ट्र ऑटोरिक्शा और मीटर्ड टैक्सी चालक कल्याणकारी मंडल के तहत हर चालक से ५०० रुपए पंजीकरण शुल्क और ३०० रुपए वार्षिक सदस्यता शुल्क वसूलने के निर्णय ने इन गरीब चालकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाल दिया है।
ऑटोरिक्शा संगठनों ने इस पैâसले को लूट करार दिया है और कहा है कि पहले से ही आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे ऑटोरिक्शा चालकों की स्थिति को यह निर्णय और बदतर बना देगा। कोविड महामारी के बाद से रिक्शाचालक महंगाई, र्इंधन की बढ़ती कीमतें, महंगे स्पेयर पार्ट्स और सरकारी लाइसेंस फीस के बोझ तले दबे हुए हैं। ऐसे में यह नया शुल्क उनकी परेशानियों को और बढ़ा रहा है।
रिक्शा संगठनों का कहना है कि पिछले १५ सालों से वे एक स्वतंत्र कल्याणकारी मंडल की मांग कर रहे थे लेकिन अब सरकार ने जो मंडल बनाया है, उससे केवल शुल्क वसूली हो रही है। चालकों को इसके तहत कोई ठोस लाभ नहीं मिल रहे हैं। रिक्शाचालकों ने मांग की है कि पंजीकरण और पहचान पत्र की प्रक्रिया मुफ्त होनी चाहिए और वार्षिक सदस्यता शुल्क पूरी तरह समाप्त किया जाए।
अगर सरकार इन मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो रिक्शाचालकों की स्थिति और खराब हो जाएगी, जिससे उनके लिए आजीविका चलाना मुश्किल हो सकता है।
हर साल हमसे इस तरह का शुल्क लेना बिल्कुल अनुचित है। जब हम परमिट और अन्य चीजों के लिए हर प्रकार का टैक्स और शुल्क पहले ही भर रहे हैं तो यह प्रक्रिया ऑटो रिक्शा और टैक्सी चालकों के लिए मुफ्त होनी चाहिए।
– शशांक राव, अध्यक्ष-टैक्सिमेन यूनियन