मुख्यपृष्ठटॉप समाचारशिंदे का बारगेनिंग पावर खत्म! समर्थक विधायकों में मची अफरा-तफरी

शिंदे का बारगेनिंग पावर खत्म! समर्थक विधायकों में मची अफरा-तफरी

जितेंद्र मल्लाह / मुंबई
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की सत्ता हासिल करने के बाद ९ साल बीत चुके हैं लेकिन उपलब्धियों के नाम पर कहने के लिए भारतीय जनता पार्टी के पास कुछ खास होगा, ऐसा लगता नहीं है। हालांकि, कभी राष्ट्रवाद तो कभी हिंदुत्व के नाम पर लोगों को भ्रमित करके भाजपा लगातार चुनाव जीतने में कामयाब होती रही है। इसी के साथ-साथ केंद्र सरकार और भाजपा पर विरोधियों को खत्म करने व तोड़कर अपने साथ मिलाने का प्रयास करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप भी लगातार लगता रहा है। भाजपा के लोग केवल विरोधियों के ही खिलाफ साजिशें रचते हैं ऐसा नहीं है। बल्कि भाजपा अपनों को भी नहीं बख्शती है, ये महाराष्ट्र के नए सियासी संकट से सिद्ध हो गया है। कहने को तो कहा जा रहा है कि अजीत पवार को शिंदे सरकार में शामिल कराकर भाजपा ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी तोड़ दी है। लेकिन हकीकत ये है कि इस बगावत के जरिए भाजपा ने सीएम शिंदे को जवाब दिया है। भाजपा ने उनके बारगेनिंग पावर को कम कर दिया है।

बता दें कि सीएम एकनाथ शिंदे को जनता की पहली पसंद बताने वाले शिंदे गुट के कथित विज्ञापन से भाजपा के वरिष्ठ से लेकर आम कार्यकर्ता तक खिन्न थे। हालांकि, महाराष्ट्र के सियासी गलियारे में ऐसी चर्चा है कि भाजपा के महाराष्ट्र के बड़े नेताओं द्वारा शिंदे गुट को विधानसभा चुनाव में ५० से कम सीटें दिए जाने के संबंध में अतीत में दिए गए बयानों का जवाब शिंदे गुट ने भाजपा को दिया था। हालांकि, तब ऐसा दिखाने का प्रयास किया था कि ‘ऑल इज वेल’ यानी सब कुछ ठीक ठाक है, लेकिन अब, जबकि अजीत पवार अपने समर्थकों के साथ शिंदे सरकार में शामिल हो चुके हैं। वे अपने ८ समर्थकों के साथ मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। तो ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि शिंदे का सीएम पद जा सकता है, यदि ऐसा नहीं भी होता है तो भी शिंदे और उनके समर्थकों को अब मजबूरी में चुप ही रहना होगा। आगामी मनपा तथा २०२४ में होनेवाले लोकसभा व विधानसभा चुनाव में भाजपा को अपने इशारे पर नचाने की मंशा रखनेवाले शिंदे गुट को अजीत पवार की बगावत से झटका लगा है। उन्हें भाजपा के रहमो-करम पर रहकर जो मिलेगा उसी से संतुष्ट रहना होगा। अन्यथा शिंदे और उनके समर्थकों पर केंद्र सरकार की केंद्रीय जांच एजेंसियों की गाज फिर से गिरनी शुरू हो जाएगी। अर्थात ये कह सकते हैं कि भाजपा ने अजीत पवार को शस्त्र की तरह इस्तेमाल करके शिंदे के बारगेनिंग पावर को खत्म कर दिया है।

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