-भाजपा के दबाव में उम्मीदवार बदलने का आरोप
सामना संवाददाता / मुंबई
भाजपा के दबाव के कारण तीन सांसदों की उम्मीदवारी खारिज होने से शिंदे गुट के विधायकों में डर है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी खारिज कर दी जाएगी। अगर पार्टी के विधायकों के बीच ऐसी हलचल जारी रही तो यह शिंदे के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। शिंदे गुट के नेता सलाह दे रहे हैं कि शिंदे को भाजपा के दबाव में नहीं आना चाहिए। भाजपा के दबाव के चलते हिंगोली सांसद हेमंत पाटील की घोषित उम्मीदवारी रद्द कर दी गई। सांसद पाटील की उम्मीदवारी की घोषणा दो हफ्ते पहले की गई थी। लेकिन जब भाजपा नेताओं ने बताया कि यदि पाटील उम्मीदवार होंगे तो वे जीत नहीं पाएंगे। मुख्यमंत्री शिंदे ने सर्वेक्षण के आंकड़ों के आधार पर पाटील की उम्मीदवारी रद्द कर दी। रामटेक में भी भाजपा के दबाव के कारण शिंदे के लिए कांग्रेस विधायक को उम्मीदवारी देने की नौबत आ गई थी। यवतमाल-वाशी में भावना गवली को भी उम्मीदवारी से वंचित कर दिया गया।
शिवसेना से गद्दारी के बाद शिवसेना के १८ में से १२ सांसदों ने शिंदे का समर्थन किया था। शिंदे ने इनमें से तीन मौजूदा सांसदों की उम्मीदवारी खारिज कर दी है। जब लोकसभा के लिए बड़ा क्षेत्र था तो शिंदे भाजपा के दबाव के आगे झुक गए। इससे विधायकों को चिंता सता रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव में क्या होगा। अगर वाकई भाजपा को लोकसभा में ४०० से ज्यादा सीटें मिल गईं तो भाजपा को सहयोगियों की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐसे में शिंदे गुट के विधायकों को डर है कि भाजपा शिंदे गुट के विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों पर दावा कर सकती है। भाजपा के सर्वे के आधार पर उम्मीदवार बदले जाने से विधायकों में नाराजगी है। यदि हम सर्वेक्षण डेटा के आधार पर निर्णय लेना जारी रखते हैं तो क्या कार्यकर्ताओं की आवश्यकता होगी, यह सवाल शिंदे गुट के विधायक प्रताप सरनाईक द्वारा उठाया गया है। शिंदे से उम्मीद है कि पार्टी प्रमुख के नाते वे किसी भी पैâसले पर कायम रहेंगे।
लेकिन अगर दोस्त ही पार्टी के दबाव में निर्णय लेने लगेंगे तो पार्टी में कोई भी उनके साथ खड़ा नहीं होगा, इस रूप में एक विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर अपनी भावना व्यक्त की। मुंबई के एक विधायक ने कहा कि भाजपा के दबाव के कारण टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है।