सामना संवाददाता / मुंबई
देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि विधानमंडल में उपसभापति पद पर रहते हुए कोई दूसरे दल में शामिल हुआ है। हमने विधानमंडल सचिव और राज्यपाल से अपील की है कि ऐसा कृत्य करनेवाले को अयोग्यता के आधार पर पद से हटाया जाए और उस पर कार्रवाई की जाए। यह मांग शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) सदस्य अनिल परब ने सदन में पीठासीन सभापति निरंजन डावखरे से की। उन्होंने कहा कि विधान परिषद के उपसभापति नीलम गोर्हे को पद से हटाना चाहिए और जबतक उनकी अपात्रता पर पैâसला नहीं हो जाता है, तब तक चार सदस्यीय समिति बनाकर परिषद के काम काज का संचालन करना चाहिए, जबकि एनसीपी के सदस्य शशिकांत शिंदे ने मांग की कि जब तक सचिव और राज्यपाल उपसभापति पद पर पैâसला नहीं ले लेते, तब तक अंतरिम उपसभापति नियुक्त किया जाना चाहिए।
मंगलवार को विधनमंडल के मानसून सत्र के दूसरे दिन भी सदन में उपभापति नीलम गोर्हे की अपात्रता की मांग का मुद्दा गरमाया रहा। महाविकास आघाड़ी के प्रतिनिधिमंडल ने एक दिन पहले सोमवार को इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाते हुए विधानमंडल सचिव और राज्यपाल को पत्र देकर विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोर्हे को हटाने की मांग की थी। पत्र में कहा गया है कि दलबदल निषेध अधिनियम के तहत नीलम गोर्हे अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए और पद से हटाया जाना चाहिए, क्योंकि वे गद्दार शिंदे गुट में शामिल हो गई हैं।