सामना संवाददाता / जम्मू
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) जम्मू-कश्मीर इकाई ने निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा चुनावों की तिथियों की घोषणा के दौरान जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों की घोषणा नहीं होने पर निराशा व्यक्त की है। साथ ही सवाल भी उठाया है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। पार्टी प्रदेश मध्यवर्ती कार्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, प्रदेश प्रमुख मनीष साहनी ने कहा कि लोकसभा चुनावों के साथ चार राज्यों के विधानसभा चुनावों तथा तमाम राज्यों के उपचुनावों की घोषणा की गई है, मगर जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों को एक बार फिर टाल दिया गया है। साहनी ने कहा कि सरकार वन नेशन वन इलेक्शन का लाने का दावा करती है, मगर जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों को लेकर टालमटोल का रवैया अपना रही है। साहनी ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर में २०१४ में विधानसभा चुनाव हुए थे, २०१८ में पीडीपी और भाजपा गठबंधन की सरकार गिरने तथा अगस्त २०१९ में जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन को भी लगभग पांच साल का समय बीतने को है। साहनी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आज विधानसभा, नगर निगम, पंचायत समेत किसी भी स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। साहनी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की आवाम में निराशा का माहौल है।