सामना संवाददाता / जम्मू
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) जम्मू-कश्मीर इकाई ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा धारा ३७० को लेकर दायर पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज करने के पैâसले का स्वागत किया है तथा धारा ३७१ के तहत अपनी सांस्कृतिक पहचान व भूमिपुत्रों के लिए नौकरियों व शिक्षा जैसे विशेषाधिकारों की मांग की है।
गौरतलब है कि बुधवार को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रदेश मध्यवर्ती कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में प्रदेश इकाई प्रमुख मनीष साहनी ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के पैâसले के बाद यह मान लिया जाना चाहिए कि धारा ३७० इतिहास बन चुकी है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर एक सीमावर्ती राज्य है और पिछले साढ़े तीन दशकों से हम आंतकवाद का दंश झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की अवाम विशेषाधिकार की हकदार है। देश के अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की तर्ज पर जम्मू-कश्मीर को धारा ३७१ के तहत अपनी सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा के साथ भूमिपुत्रों के लिए सरकारी नौकरियों व शिक्षा संस्थानों में प्रवेश पर पहले अधिकार का विशेषाधिकार दिए जाने की मांग करते हैं। साहनी ने कहा कि वे ३७० का राग अलापने वालों से समय बर्बाद नहीं करते हुए धारा ३७१ के तहत स्थानीय लोगों के हकों की बहाली के लिए एकमंच से एकजुटता के साथ आवाज बुलंद करने का आह्वान किया है। साहनी ने लोकसभा चुनावों के नतीजों के तुरंत बाद अपनी उक्त मांगों को लेकर जनता को जागरूक करने तथा सहमति के लिए पद यात्रा पर निकलने की घोषणा की है। इस मौके पर उपाध्यक्ष बलवंत सिंह, अध्यक्ष कामगार विंग राज सिंह, सचिव राकेश हांडा उपस्थित रहे।