सामना संवाददाता / मुंबई
शिवसेना महाराष्ट्र के स्वाभिमान से बिल्कुल भी समझौता नहीं करेगी। हम दिल्ली के सामने नहीं झुकेंगे। हमारा मन और विचार साफ है। हम किसी के दबाव में नहीं आते हैं। हमें जो भी करना होता है, वह छाती ‘ोकते हुए करते हैं। इन शब्दों में महाविकास आघाड़ी की चल रही सीट बंटवारे को लेकर अफवाहों के बीज रोपनेवालों पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ‘ाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने जोरदार फटकार लगाई है। इसी के साथ ही उन्होंने भाजपा के साथ ही मीडिया पर भी बरसते हुए शाह से मुलाकात की चर्चाओं को खारिज कर दिया।
मीडिया से बातचीत में सांसद संजय राऊत ने कहा कि ‘ईडी’ सरकार से सबसे ज्यादा संघर्ष शिवसेना ने किया है। हमने संघर्ष ही नहीं किया, बल्कि जेल की हवा भी खाई। हमारा पक्ष फोड़े, हमारी सरकार गिराई, हमारे चिह्न चुरा लिए और महाराष्ट्र के गद्दारों के हाथ में दे दिया। इस वेदना के साथ हम संघर्ष कर रहे हैं। यह संघर्ष अब इस छोर पर पहुंच गया है कि कोई संदेह कर रहा होगा, तो वह एक पिता की औलाद नहीं है। हम पर संदेह करनेवाले एक तो अपने पिता को दिखाएं, अन्यथा श्राद्ध करें। ये लोग अपने स्वार्थ के लिए हमारे स्वाभिमान पर प्रहार करने वाले हैं। संजय राऊत ने कहा कि सामने आकर लड़ो, अफवाहों को न फैलाएं। अफवाहों को फैलाकर लड़ रहे होंगे तो उन्हें महाराष्ट्र में राजनीति करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि जो कोई भी खबरें फैला रहा होगा अथवा कोई सुपारी दी होगी, तो उनकी विश्वसनीय जानकारी हमारे पास पहुंच चुकी है। हमारी भी एक यंत्रणा है। कौन, किसे खबरें पहुंचा रहा है, कौन, किसे अफवाह फैलाने में मदद कर रही है, ये सभी हमारे पास है। शिवसेना महाराष्ट्र के स्वाभिमान से समझौता नहीं करेगी और महाराष्ट्र के स्वाभिमान को कुचलने वालों से हाथ भी नहीं मिलाएंगे। उनके साथ हाथ मिलाना यानी औरंगजेब-अफजल खान से हाथ मिलाने जैसा होगा।
ईश्वर की इच्छा की अपेक्षा संविधान की इच्छा महत्वपूर्ण
अयोध्या का फैसला देते समय ईश्वर ने राह दिखाई। इस तरह का बयान मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ ने खेड तहसील में अपने मूल गांव कनेरसर में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए दिया है। इस पर संजय राऊत ने कहा कि इसलिए मुख्य न्यायाधीश ने नरेंद्र मोदी को अपने घर पर गणपति आरती में बुलाया था। ईश्वर की इच्छा क्या है इसकी अपेक्षा संविधान की इच्छा क्या है, ये महत्वपूर्ण है। शिवसेना को न्याय दो ही मत इस तरह की इच्छा ईश्वर की कतई नहीं होगी। कदाचित विष्णु का १३वां अवतार होगा और उस अवतार ने उन्हें कोई साक्षात्कार दिया होगा। यदि विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी पैâसला नहीं आता है, तो मैं निश्चित रूप से मुख्य न्यायाधीश के चरणों में पूजा करने के लिए तैयार हूं, क्योंकि वे विष्णु के १४वें अवतार हो सकते हैं।