सामना संवाददाता / मुंबई
शिवसेना के दबाव के बाद मुंबई में भारी बिजली बिल देने वाले अडानी के नए स्मार्ट मीटर जल्द ही बदले जाएंगे। इन मीटरों से उपभोक्ताओं को बढ़े हुए बिलों का सामना करना पड़ रहा था। इसको लेकर उपभोक्ताओं की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए शिवसेना ने कल कोलाबा स्थित इलेक्ट्रिक हाउस पर प्रदर्शन किया और प्रशासन को घेरा। इस दौरान ‘बेस्ट’ प्रशासन ने स्पष्ट किया कि नए मीटर लगाने का काम रोका जाएगा और पहले से लगाए गए मीटर बदले जाएंगे। खास बात यह है कि इन स्मार्ट मीटरों का गुजरात और नागपुर में भी विरोध हुआ था, जिसके चलते वहां इन्हें रोक दिया गया।
केंद्र सरकार की नई नीति के तहत बेस्ट ने मुंबई में स्मार्ट बिजली मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन इन मीटरों से बिजली बिल में भारी बढ़ोतरी की शिकायतें आ रही थीं। साथ ही, उपभोक्ताओं पर मीटर की लागत का बोझ भी डाला जा रहा था। इसी के मद्देनजर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के पूर्व विधायक दगडू सकपाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने कल बेस्ट के महाप्रबंधक अनिल डिग्गीकर से मुलाकात कर उपभोक्ताओं की समस्याएं रखीं। इस दौरान महाप्रबंधक को मांगों से संबंधित एक ज्ञापन भी सौंपा गया। मांग की गई कि पहले से लगाए गए स्मार्ट मीटर बदले जाएं और आगे कोई नए मीटर न लगाए जाएं। इस पर महाप्रबंधक डिग्गीकर ने सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया। इस मौके पर शिवसेना उपनेता रविंद्र मिर्लेकर, बेस्ट कामगार सेना अध्यक्ष सुहास सामंत उपस्थित रहे।
विधान परिषद में स्थगन आदेश की अनदेखी
बेस्ट के स्मार्ट मीटरों से उपभोक्ताओं पर बढ़ रहे आर्थिक बोझ को लेकर शिवसेना ने विधान परिषद में यह मुद्दा उठाया था। तब इन मीटरों पर रोक लगाने का निर्णय हुआ था, लेकिन शिवसेना का आरोप है कि बेस्ट ने विधान परिषद के आदेशों की अनदेखी कर मनमाने तरीके से स्मार्ट मीटर लगाना जारी रखा। शिवसेना ने सवाल उठाया है कि बेस्ट प्रशासन किसके दबाव में काम कर रहा है? क्या महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग के आदेश सिर्फ मुंबई पर ही लागू होते हैं? शिवसेना ने यह भी पूछा कि अडानी कंपनी अपने ३० लाख उपभोक्ताओं पर ऐसे मीटरों का प्रयोग क्यों नहीं कर रही है?
बेस्ट की जमीन अडानी को?
अडानी को बेस्ट के विद्युत विभाग के सभी ९ विभागों में व्यवसाय करने के लिए जगह उपलब्ध कराई गई है। शिवसेना ने सवाल उठाया है कि क्या भविष्य में बेस्ट के परिवहन विभाग की ३७० एकड़ जमीन भी अडानी को सौंप दी जाएगी?