सामना संवाददाता / नई दिल्ली कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त देनेवाली कांग्रेस अब नई कशमकश में फंस गई है। चुनाव अभियान में कदम से कदम मिलाकर साथ चलनेवाले शिवकुमार और सिद्धारमैया में से सीएम किसे बनाएं, ये गंभीर सवाल कांग्रेस के समक्ष खड़ा हो गया है। जबकि इस रेस में दो और लोगों के शामिल होने की बात कर्नाटक के सियासी हल्के में चल रही है। इन चारों नामों में से सीएम के पद पर किसकी लॉटरी निकलेगी, इसका निर्णय वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुशील कुमार शिंदे के नेतृत्व वाली तीन सदस्यों की कमेटी को लेना है।
बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने २२४ में से १३५ सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है और अब मुख्यमंत्री चयन प्रक्रिया शुरू हो गई है। कांग्रेस आलाकमान ने महासचिव सुशील कुमार शिंदे, दीपक बाबरिया और जितेंद्र सिंह को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। सुशील कुमार शिंदे के नेतृत्ववाली केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में बंगलुरु के होटल शांगरी-ला में कर्नाटक कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई। इस बैठक में सभी नवनिर्वाचित विधायकों से चर्चा की। इस दौरान सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि विधायक दल का नेता चुनने की पूरी शक्ति कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को दे दी जाए। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर पैâसला हाईकमान लेगा। इसलिए अंतिम पैâसला सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बीच होगा।
मुख्यमंत्री पद के लिए डी. के. शिवकुमार और सिद्धारमैया का नाम सबसे आगे है। साथ ही एम. बी. पाटील और जी. परमेश्वर का नाम भी चर्चा में है। बताया जाता है कि शिवकुमार के पास ६८ विधायकों का समर्थन है और सिद्धारमैया के पास ५९ विधायक हैं। ८ विधायक परमेश्वर के लिए जोर लगा चुके हैं। दोनों नेताओं शिवकुमार और सिद्धारमैया के समर्थकों ने उनके भविष्य के मुख्यमंत्री बनने की कामना करते हुए पोस्टर लगाए हैं।
सिद्धारमैया का पलड़ा भारी डीके शिवकुमार ने कर्नाटक की जीत में बड़ी भूमिका निभाई है। इसलिए वह मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं। हालांकि कांग्रेस आलाकमान को डर है कि अगर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया तो केंद्रीय जांच एजेंसियां फिर से उनके पीछे पड़ सकती हैं। इसीलिए इस खतरे से बचने के लिए कांग्रेस हल्के में इस बात की संभावना जताई जा रही है कि नई सरकार में सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री का पद सौंपकर शिवकुमार को एक और बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
सिद्धारमैया से कोई मतभेद नहीं – शिवकुमार
कुछ लोगों का दावा है कि सिद्धारमैया के साथ मेरे मतभेद हैं लेकिन हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है। मैं पार्टी के लिए बलिदान देकर सिद्धारमैया के साथ खड़ा रहा, ऐसा शिवकुमार ने एक बार फिर साफ कर दिया है।
सुशील कुमार बंगलुरू पहुंचे
केंद्रीय निरीक्षक की जिम्मेदारी सौंपे जाने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे रविवार को विशेष विमान से तत्काल बंगलुरू पहुंच गए। मुख्यमंत्री पद के लिए चयन प्रक्रिया पूरी होने तक वह बंगलुरू में ही रहेंगे।
ये हो सकता है
मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धारमैया का नाम तय होने पर उपमुख्यमंत्री पद के लिए तीन नेताओं वोक्कालिंग समुदाय के शिवकुमार, लिंगायत समुदाय के एम. बी. पाटील, दलित समुदाय के जी. परमेश्वर को मौका दिया जा सकता है। इसके जरिए पार्टी राज्य के तीनों प्रमुख समुदायों का प्रतिनिधित्व करने की कोशिश करेगी।
– शिवकुमार और सिद्धारमैया को समान न्याय देते हुए ढाई साल के मुख्यमंत्री पद के फॉर्मूले पर भी विचार चल रहा है। भले ही शिवकुमार को पांच साल के लिए मुख्यमंत्री का पद दिया जाए, सिद्धारमैया उपमुख्यमंत्री होंगे और उन्हें एक अन्य महत्वपूर्ण विभाग दिया जा सकता है।
१८ मई को शपथ ग्रहण
कर्नाटक में नई सरकार का १८ मई को शपथ लेना लगभग तय है। इस समारोह में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल होंगे। शपथ ग्रहण समारोह में समान विचारधारा वाले दलों के साथ-साथ कई राज्यों के प्रमुख दलों के नेताओं को भी आमंत्रित किया जाएगा।
जयनगर के परिणाम पर विवाद
जयनगर विधानसभा क्षेत्र में शनिवार देर रात तक वोटों की गिनती चल रही थी। यहां कांग्रेस ने सौम्या रेड्डी को तो भाजपा ने राममूर्ति को उम्मीदवार बनाया है। मतगणना के दौरान अफरातफरी मच गई। इसके बाद दोबारा मतगणना हुई। राममूर्ति महज १६ वोटों से जीते। इसके बाद शिवकुमार ने मतगणना केंद्र के बाहर धरना दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि मतगणना में सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया गया।
यह मोदी की हार नहीं है – बोम्मई
भाजपा की करारी हार के बाद बसवराज बोम्मई ने शनिवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उसके बाद आज प्रदेश भाजपा की बैठक हुई। इस बैठक में हार पर चर्चा हुई। बैठक के बाद बोम्मई ने दावा किया कि यह हार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से नहीं है। इस हार के कई कारण हैं। यह कोई अकेली हार नहीं है। हार के कारणों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए जल्द ही नवनिर्वाचित सदस्यों और हारे हुए उम्मीदवारों की बैठक बुलाई जाएगी।
लोग मोदी से थक चुके हैं -रमेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं थके हैं लेकिन जनता अब थक चुकी है। लोग उनसे ऊब गए हैं। उनके भाषण और रोड शो लोगों के लिए असहनीय हो गए हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कर्नाटक में भी इसी बात को निशाने पर लिया। लोगों ने डबल इंजन बनाना भी सीखा है। रमेश ने यह भी कहा कि लोगों को दिल्ली में बैठकर राज्य को दूर से चलाना स्वीकार्य नहीं है। बजरंग दल और बजरंग बली की तुलना नहीं की जा सकती।