• कमजोर होती जा रही हैं बच्चों की नजरें
• डिजिटल स्क्रीन पर बिता रहे अधिक समय
सामना संवाददाता / मुंबई
कोरोना काल के बाद से बच्चों के पास की नजर कमजोर हो गई है, यानी उनमें निकट दृष्टि दोष के मामले में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। देश के सबसे बड़े अस्पताल ‘एम्स’ की यह स्टडी चौंकानेवाली साबित हो रही है। स्टडी में पाया है कि कोरोना महामारी के दौरान स्क्रीन पर अधिक समय बिताने के चलते बच्चों की आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ा है। ऐसे में यदि इसे गंभीरता से नहीं लिया गया तो साल २०५० तक हिंदुस्थान की आधी यानी ५० फीसदी आबादी जॉब के लिए अनफिट हो जाएगी।
२०५० तक आधे बच्चों को हो जाएगा निकट का दृष्टि दोष
ऑनलाइन पढ़ाई के कारण बच्चों की आंखें कमजोर हो रही हैं। कोरोना काल से पहले जब आंखों से जुड़ी स्टडी कराई गई थी, तो शहरी आबादी में ५ से ७ प्रतिशत बच्चों में मायोपिया मिलता था। अब ये बढ़कर ११ से १५ फीसदी हो गया है। एम्स के राजेंद्र प्रसाद नेत्र अस्पताल के मुख्य प्राध्यापक जीवन एस. टिटियाल के अनुसार कोरोना काल से ही ऑनलाइन क्लास, स्मार्ट फोन का अधिक इस्तेमाल और कंप्यूटर पर गेम खेलने के कारण बच्चों की नजरें कमजोर होती जा रही हैं। यदि इसी तरह बच्चे स्मार्ट फोन, कंप्यूटर, ऑनलाइन गेम, डिजिटल स्क्रीन का इस्तेमाल करते रहेंगे, तो साल २०५० तक देश में ५० प्रतिशत बच्चे निकट के दृष्टि दोष रोग से ग्रसित हो जाएंगे। ऐसे में बच्चों की आंखों को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है। ऐसी परिस्थिति में देश की आधी आबादी कम दृष्टि के कारण सेना और पुलिस जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों में भर्ती के अयोग्य हो जाएगी।
डॉ. टिटियाल के अनुसार बच्चों की नजरें कमजोर होने से बचाने के लिए स्कूलों में ट्रेनिंग और निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए उन्हें डिजिटल स्क्रीन से दूर रखना होगा। अगर बहुत जरूरी हो तो बच्चों को दिन में दो घंटे से ज्यादा स्क्रीन का इस्तेमाल न करने दें और इस दौरान भी ब्रेक लेते रहें। अगर किसी बच्चे की नजर कमजोर हो रही है, तो उसे चश्मा जरूर लगवाया जाए। साल में कम-से- कम एक बार आंखों की जांच जरूर करवा लें।
डिजिटल स्क्रीन से बढ़ी समस्या
आंख से संबंधित समस्याएं लगभग सभी उम्र के किसी-न-किसी पड़ाव में आती हैं। लेकिन हाल ही में इनमें ज्यादा तेजी देखी जा रही है। कई बार आंखों की समस्याएं उम्र के साथ ठीक हो जाती हैं। लेकिन उम्र बढ़ने पर कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है। डिजिटल स्क्रीन के इस्तेमाल ने इसमें और बढ़ोतरी की है। यदि हम अपने चारों ओर देखें तो हमें ऐसे बहुत से बच्चे दिखेंगे जो बहुत छोटे हैं लेकिन उन्हें बिना चश्मे के देखने में कठिनाई होती है।