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प्रसूति अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी, मरीजों को दिक्कत …शिवसेना सांसद ने मनपा अधिकारियों को घेरा!

सभी कमियों को दूर करने की दी हिदायत
सामना संवाददाता / मुंबई
मनपा के उपनगरीय अस्पताल में प्रसूता महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि कई उपनगरीय अस्पतालों में डॉक्टरों की बहुत ही कमी है। इससे अन्य मरीजों का भी दम निकल रहा है। इन परेशानियों से जूझ रही प्रसूता महिलाओं और दूसरे मरीजों को मजबूरन मनपा के प्रमुख अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ रहा है। इसे गंभीरता से लेते हुए उत्तर-पूर्व मुंबई के शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) सांसद संजय दीना पाटील ने मनपा अधिकारियों को घेरा है, साथ ही अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को दूर करते हुए व्याप्त सभी खामियों को दूर करने की हिदायत दी।
अधिकारियों के साथ बैठक
मनपा के उपनगरीय अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई अस्पतालों में स्टाफ की कमी के कारण गर्भवती महिलाओं को डिलिवरी के लिए मेडिकल कॉलेजों में जाना पड़ता है, जबकि कुछ जगहों पर सिजेरियन डिलिवरी नहीं हो पाती है। सांसद संजय दीना पाटील ने मनपा अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में उन्होंने मुलुंड के सावरकर अस्पताल, भांडुप के सावित्रीबाई फुले अस्पताल, घाटकोपर के संत मुक्ताबाई अस्पताल की खराब स्थिति और डॉक्टरों की कमी के संबंध में तत्काल उपाय करने का सुझाव दिया था। घाटकोपर के संत मुक्ताबाई अस्पताल में सात में से दो, राजावाड़ी अस्पताल में १२ में से पांच ही डॉक्टर काम कर रहे हैं। इसके अलावा वरिष्ठ संविदा रेजिडेंट डॉक्टर का कार्यकाल सितंबर में समाप्त हो गया है, जिससे अस्पताल में समस्या और बढ़ गई है। इसके अलावा सभी अस्पतालों में बायोमेट्रिक अटेंडेंस शुरू होने के कारण कई डॉक्टरों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है। इन सभी के कारण अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी हो गई है।

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