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समय रहते मिलती मदद तो नहीं होता श्रद्धा हत्याकांड : देर से जागी मिंधे सरकार! …धर्मांतरण, लव जिहाद विरोधी बनेगा कानून

सामना संवाददाता/ मुंबई
धर्मांतरण और लव जिहाद का मुद्दा कल विधान परिषद में गूंजा। अगर कोई धोखाधड़ी के इरादे से जबरदस्ती या लालच देकर शादी करता है तो ऐसे धर्मांतरण या लव जिहाद के मामले को दर्ज करने और तुरंत शोध करने के संबंध में पुलिस महानिदेशक को निर्देशित किया जाएगा कि पुलिस के लिए एक कार्यप्रणाली (एसओपी) सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री और गृहमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जल्द ही धर्मांतरण व लव जिहाद के विरोध में कानून बनाएगी। नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने मांग की कि अब तक कितनी शिकायतें मिली हैं और सरकार ने क्या कार्रवाई की है, इसकी जानकारी सरकार को देनी चाहिए? श्रद्धा वालकर हत्याकांड में अगर समय रहते श्रद्धा को मदद मिल जाती तो उसकी हत्या को रोका जा सकता था। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के अनिल परब ने भी धर्मांतरण और लव जिहाद के मामले में पुलिस द्वारा तत्काल कार्रवाई किए जाने की मांग की। परब ने कहा कि पुलिस ऐसे मामले में केस दर्ज करने को तैयार नहीं होती। दुर्घटना में गोल्डन ऑवर महत्वपूर्ण होता है, जिसमें घायल व्यक्ति की जान बच जाती है, ऐसे में भी गुमशुदा लड़का या लड़की को ढूंढ़कर उसके माता-पिता के सामने पेश किया जाए, तो कई घटनाओं को टाला जा सकता है। कल विधान परिषद में उपमुख्यमंत्री व गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इसके लिए विभिन्न राज्यों के कानूनों का अध्ययन किया जा रहा है। उपसभापति नीलम गोर्‍हे ने कहा कि कुछ मामलों में स्वैच्छिक विवाह या प्रेम विवाह के बाद लड़की पुलिस स्टेशन में पेश होने के बाद अपने माता-पिता के साथ रहने को तैयार नहीं होती है। ऐसे समय में उनके ठहरने की व्यवस्था आश्रम में करनी पड़ती है। ऐसे मामलों को दर्ज किया जाना चाहिए।
उपसभापति ने निर्देश दिया कि विधायक दल नेताओं, समाज के बुद्धिजीवियों और इस विषय में काम करने वाले लोगों को लेकर एक संयुक्त चिकित्सा समिति तैयार करनी चाहिए।

प्रदेश में होगी ५० शक्ति सदनों की स्थापना
इसके जवाब में गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि वर्तमान में कितनी शिकायतें प्राप्त हुई हैं? लव जिहाद के मामले या उन मामलों में जिसमें लड़की खुद घर वापस जाने को तैयार नहीं होती या उसके माता-पिता उसे स्वीकार नहीं करते हैं। ऐसी लड़कियों को समायोजित करने के लिए प्रदेश में ५० शक्ति सदन स्थापित किए जाएंगे। इसमें केंद्र सरकार ६० प्रतिशत और राज्य सरकार ४० प्रतिशत वित्तीय सहायता देगी।

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