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भायंदर में भव्य कलश यात्रा के साथ हुआ भागवत कथा का श्री गणेश 

भायंदर में भव्य कलश यात्रा के साथ हुआ भागवत कथा का श्री गणेश

सामना संवाददाता / मुंबई

माहेश्वरी मण्डल भायंदर के तत्वावधान में श्री राधाकृष्ण प्रभात फेरी द्वारा श्रीमद्भागवतम् कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन सोमवार, दिनांक 16 दिसंबर से रविवार, 22 दिसंबर 2024 तक राधेश्याम डोम, अमृतवाणी रोड़, भायंदर पश्चिम में किया जा रहा है। व्यासपीठ गोवत्स श्री राधाकृष्णजी महाराज की अमृतमयी वाणी से कथा की प्रस्तुति दी जाएगी। जिसके प्रथम दिवस पर सुबह 10 बजे से 60 फीट रोड स्थित गणेश मन्दिर से कथास्थल तक भव्य कलश यात्रा निकाली गयी।

कलश यात्रा में हजारों की संख्या में भक्तों ने भाग लिया जिसमें 300 से अधिक महिलाओं ने लाल साड़ी पहने और अपने मस्तक पर कलश धारण किया और सभी भक्तगण कीर्तन गाते हुए कथा स्थल तक पहुंचे। जो-जो व्यक्ति भागवत की पौथी देखकर अपने स्थान पर खड़े होकर उसको नमस्कार किया, उनके जीवन में एक सत्कर्म का कार्य होगा इतनी इस भागवत पौथी का माहत्म्य है। कोई माथे पर तिलक लगाया हुआ कीर्तन बोले वह तो स्वाभाविक है, कोई श्रेष्ठ वेश में कीर्तन बोले स्वाभाविक है, कोई भद्र पुरुष कीर्तन बोले स्वाभाविक है, कोई झाड़ू लगाने वाले, सब्जी वाला, चपरासी, बिल्डिंग के वॉचमैन, दुकान में काम करने वाले लोग कीर्तन बोले यह प्रभात फेरी का ही फल है। माहेश्वरी मण्डल भायंदर बहुत बड़ी खूबी यह है की सभी वर्गों के लोगों को एक साथ लेकर चलने वाले समाजबंधु हैं। कथा के मुख्य यजमान नन्दलालजी मदनलालजी भूतड़ा, दैनिक यजमान गोपीकिशनजी ओमप्रकाशजी झंवर थे।

आज प्रथम दिवस के प्रवचन में महाराज जी ने कहा आज मेरे मन के लिए बहुत बड़ा दिवस है 15 वर्ष पहले जिस भूमि पर भक्ति का सेवा का एक पौधा उगते हुए देखा था। चाहे वो प्रभात फेरी का हो, चाहे श्री माहेश्वरी भवन का हो, चाहे यहां होने वाले और अन्य सेवा कार्यों का आज पूरे 15 वर्ष के बाद पूरा वटवृक्ष देख रहा हूं। इस बात को देखकर मन को अति प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। शोभायात्रा का वर्णन करते हुए कहा कि बहुत ही सुन्दर शोभायात्रा का दृश्य देखने को मिला। बेंड बाजा की धुन पर, अंतिम में प्रभात फेरी के भक्तों ने कीर्तन प्रस्तुत कर रहे थे। सबसे आनंदित बात यह थी की जिस मार्ग से यह शोभायात्रा निकल रही थी, उसी मार्ग में सभी कीर्तन को बोल रहे थे। पीछे रहने का मतलब पिछड़ना नहीं कोई महान व्यक्ति कहता है कि आप तो प्रभात फेरी वाले हो आप पीछे कैसे रह गए तो महाराज जी कहते नींव कभी नजर नहीं आती है और बिल्डिंग उस पर खड़ी हो जाती है। यह प्रभात फेरी का ही सब खेल है यह निष्काम सेवा का ही खेल जिसके कारण पुन 15 वर्ष बाद श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया गया । 15 वर्ष पहले श्री माहेश्वरी भवन के निर्माणार्थ श्रीमद्भागवत कथा हुई थी माहेश्वरी समाज की पहचान है सेवा त्याग व समर्पण का परिचय देते हुए कहा की भवन निर्माण के सहकार्य के लिए पूरी योजना के साथ भागवत कथा का आयोजन किया गया था लेकिन वर्ष 2009 में अकाल की दृष्टी होने के कारण गौमाता के प्रति सेवा भाव के लिए जो भी भगवत द्रव्य प्राप्त हुआ वह सब गौशाला को समर्पित किया। श्री महाराजजी ने पूरे 1 वर्ष होने वाली मेरी कथाओं से जो भी कुछ मिला वह सब गौमाता के कार्य में समर्पण कर दिया गया। साथ ही साथ अनेक लोगों को इस पुनीत कार्य के लिए प्रेरित भी किया। वह यह सब में प्रसंशा के लिए नहीं बोल रहा हूं यह एक अनुभूति है। पूरे 1 वर्ष की कथाओं का अभियान भी भायंदर से ही शुरू हुआ था। आज महाराज जी ने 15 वर्ष बाद इस दास को पूरा गौमाता के लिए समर्पित कर दिया जिसकी भी शुरुआत भायंदर से हो रही है। महाराज जी का पूरा जीवन गौमाता के लिए समर्पित कर दिया उसके उपलक्ष्य ॉ पर कल एक विशेष उपाधि मिली जिसके लिए मण्डल अध्यक्ष नटवरजी डागा ने महाराजजी को बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं दी।

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