मुख्यपृष्ठस्तंभश्री-वास्तव उ-वाच : क्या है यह माजिद ब्रिगेड?

श्री-वास्तव उ-वाच : क्या है यह माजिद ब्रिगेड?

अमिताभ श्रीवास्तव

जिससे चीन भी खौफ खाता है और पाकिस्तान की तो धुकधुकी बंध जाती है। आखिर क्या है वो जिसका नाम है माजिद ब्रिगेड? दरअसल, पाकिस्तान में बलूच विद्रोहियों के हमलों ने पिछले दो सालों में तेजी पकड़ी है। बलूच विद्रोही नियमित रूप से पाकिस्तानी सेना और अर्द्धसैनिक बलों को निशाना बनाते रहे हैं। ग्वादर की घटना एक और बड़ा हमला है, जो माजिद ब्रिगेड की बढ़ती ताकत की ओर इशारा करता है। माजिद ब्रिगेड ने सबसे ज्यादा हमले ग्वादर पोर्ट को निशाना बनाते हुए किए हैं, जो पाकिस्तान के लिए आर्थिक महत्व का है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मौजूद ग्वादर बंदरगाह अरब सागर को चीन से जोड़ता है, जो चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) का हिस्सा है। इस परियोजना में चीन ने ६२ अरब डॉलर का निवेश कर रखा है। लेकिन बलूच विद्रोहियों के हमले के बाद इस प्रोजेक्ट को काफी नुकसान पहुंचा है। माजिद ब्रिगेड बीएलए का आत्मघाती दस्ता है, जो २०११ से सक्रिय है। यूनिट का नाम दो भाइयों के नाम पर रखा गया है। इससे चीन भी खौफ खाता है और पाकिस्तान की तो नाक में दम कर रखा है।
उम्र ८ माह, कमाई करोड़ों में
इसे कहते हैं सोने का चम्मच लेकर पैदा होना। क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि मां-बाप अपनी औलाद से बड़े होने पर यह अपेक्षा रखते हैं कि वो उनके बुढ़ापे की लाठी बने। मगर यहां तो बुढ़ापा आया नहीं है और लाठी बन चुकी है। जी हां, केवल ८ महीने की बच्ची अपने माता-पिता को सपोर्ट करने जितना अभी से कमा रही है। एमजे नाम है उसका। जो छोटी सी उम्र में दौलत और शोहरत दोनों कमा रही है। सराह लुत्जकर नाम की नर्स ने अपनी बेटी के जन्म के बाद ही उसे ग्लैमर वर्ल्ड में एंट्री दिला दी। जब वो महज ५ महीने की थी, तभी उन्होंने उसकी फोटो मॉडलिंग एजेंसी को भेजी थी। बच्ची को वहीं से अमेरिका की दो प्रमुख कंपनियों वाल्मीर्ट और कोस्तकों की वैंâपेनिंग के लिए चुन लिया गया। बच्ची ने तुरंत ही साढ़े ३ लाख की कमाई कर ली। अब वो ८ महीने की हो चुकी है और कई और ब्रांड्स के लिए भी फोटोशूट करती है, जिससे उसकी अच्छी कमाई हो रही है। इतनी सुंदर बच्ची है कि कंपनी उसे छोड़ना भी नहीं चाहती। यानी अभी उसे पता भी नहीं कि वो क्या कर रही है और फेमस हो चुकी है।
खूबसूरत अंधविश्वास
अंधविश्वास भी क्या कभी खूबसूरत हो सकता है? नहीं न। मगर यहां है। दरअसल, यह अजीबोगरीब अंधविश्वास एक लड़की को लेकर पैâला हुआ है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक लड़की ने अपना वीडियो कभी सोशल मीडिया पर डाला होगा, जिसके बाद वो इसलिए वायरल हो गई क्योंकि उसका चेहरा चाइनीज मान्यताओं के मुताबिक काफी गुडलक लाने वाला था। लड़की की फोटो चीन में अलग- अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हो रही है। लोगों ने भर-भरकर उसके फोटो और वीडियो पर कमेंट किया है। लड़की की उम्र २९ साल है और वो हेनान प्रांत की रहनेवाली है। उसके जनवरी के वीडियो को अब तक ५ लाख ७० हजार बार पसंद किया जा चुका है, जबकि ७६ हजार लोगों ने कमेंट किया है। लोगों का कहना है कि इस तरह के चेहरे वाली लड़कियां अपने होनेवाले पति की जिंदगी में सौभाग्य लेकर आती हैं। उनके पति को दोस्त बनाने में मदद मिलती है और वे दौलतमंद भी बनते हैं। चीन में वांग फु शियांग यानी सौभाग्यशाली चेहरे की कुछ खासियत बताई जाती है। इसके मुताबिक चौड़े माथे और गोल चेहरे के साथ गोल ठोढ़ी वाली लड़कियां दयालु होती हैं और अपने पति की दोस्त बनाने में मदद करती हैं। इतना ही नहीं, इनकी नाक आगे से गोल और लंबी-सीधी होनी चाहिए। नीचे का होंठ थोड़ा मोटा होना चाहिए, आंखें चमकदार और बाल नर्म हों तो ऐसी लड़कियां सौभाग्य लेकर आती हैं। लोगों ने इसी अंधविश्वास की वजह से लड़की को आइडियल वाइफ के तौर पर वायरल कर दिया है। है न, अजीब खूबसरत अंधविश्वास।
इंसानी शरीर में सूअर की किडनी
यह दुनिया का पहला ऑपरेशन है जो सफल हुआ है। डॉक्टरों ने अनुवांशिक रूप से संशोधित सूअर की किडनी का जीवित इंसान में पहला प्रत्यारोपण करने में सफलता हासिल की है। मेडिकल क्षेत्र की इस बड़ी सफलता ने किडनी की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए संभावना के नए द्वार खोल दिए हैं। मैसेच्युसेट्स जनरल अस्पताल में चली ४ घंटे की सर्जरी में डॉक्टरों ने इस उपलब्धि को हासिल किया। १९५४ में इसी अस्पताल में दुनिया का पहला किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था। डॉक्टरों ने बताया कि ६२ वर्षीय रिक स्लेमैन की हालत में सुधार हो रहा है और जल्द ही उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा सकता है। डॉक्टरों ने बताया कि नई किडनी वर्षों तक चल सकती है, लेकिन साथ ही ये भी स्वीकार किया कि जानवरों से मानवों में प्रत्यारोपण में अभी भी कई बातों का पता लगाया जाना बाकी है। फिलहाल, इस सफलता से भविष्य में पशुओं के अंगों के अधिक ट्रांसप्लांट की उम्मीद जगी है। इसके पहले ब्रेन-डेड लोगों में परीक्षण के तौर पर सूअर की किडनी प्रत्यारोपित की जा चुकी है, लेकिन जीवित मनुष्य में इस तरह का ये पहला मामला है।
लेखक ३ दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं व सम सामयिक विषयों के टिप्पणीकर्ता हैं। धारावाहिक तथा डॉक्यूमेंट्री लेखन के साथ इनकी तमाम ऑडियो बुक्स भी रिलीज हो चुकी हैं।

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