सगीर अंसारी / मुंबई
चेंबूर रेलवे स्टेशन के पास एमएमआरडीए द्वारा निर्मित स्काईवॉक दिन में भिखारियों व फेरीवालों का अड्डा बना रहता है, जबकि रात में यहां बिजली न होने की वजह से अंधेरा पसरा रहता है, जिससे अराजक तत्वों का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके बावजूद मजबूरी में यात्री अपनी जान जोखिम में डाल कर आ-जा रहे हैं।
रिनोवेशन के बाद भी नहीं सुधरी स्थिति
बता दें कि एमएमआरडीए ने चेंबूर रेलवे स्टेशन क्षेत्र में भीड़-भाड़ को कम करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करके चेंबूर रेलवे स्टेशन से टेंम्बे ब्रिज तक स्काईवॉक का निर्माण किया था, जिसके बनने के बाद चेंबूर हाई स्कूल, मुक्तानंद, आदर्श, सरस्वती स्कूल के छात्रों के साथ-साथ मोनो रेलवे, मुलुंड, घाटकोपर, सायन, बांद्रा जाने के लिए लोग इस स्काईवॉक का उपयोग कर रहे हैं। हालांकि, पिछले चार साल से रिनोवेशन के नाम पर यह स्काईवॉक बंद था, जो अब इसे यात्रियों के लिए खोल दिया गया है। लेकिन स्काईवॉक को इतने वर्षों तक रिनोवेशन के नाम पर बंद करने के बावजूद यहां की स्थिति नहीं सुधरी है। लापरवाही के चलते बिजली की सप्लाई बंद हो गई है, जिसकी वजह से रात के समय यहां घुप अंधेरा रहता है।
फेरीवालों और भिखारियों का जमावड़ा
अंधेरे का फायदा उठाकर चोरी व हत्या की घटना की आशंका को देखते हुए यहां से गुजरने वाले राहगीरों के दिलों में खौफ रहता है, वहीं स्टेशन से निकलकर इस ओर आने-जानेवाली ज्यादातर महिलाएं स्काईवॉक से होकर जाने से कतराती हैं। अगर सुरक्षा के लिहाज से बात की जाए तो दिन के समय इस स्काईवॉक पर फेरीवालों और भिखारियों का जमावड़ा लगा रहता है। मोबाइल कवर, कपड़े, बैग बेचने वाले लोग अवैध रूप से यहां धंधा लगा कर भीड़ को बढ़ावा देते हैं।
प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
चेंबूर और गोवंडी क्षेत्र के भिखारी बारिश से बचने के लिए इस स्काईवॉक को अपना ठिकाना बनाते जा रहे हैं। कई बार यात्रियों ने इन फेरीवालों और भिखारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुई स्काईवॉक पर पर्याप्त रोशनी के लिए बिजली व सीसीटीवी लगाने की मांग भी की है, लेकिन लगता है कि प्रशासन इस विषय को लेकर कोई कदम उठाने के मूड में नहीं है।