मुंबई मनपा से हाई कोर्ट का सवाल
सामना संवाददाता / मुंबई
एक साल पहले मुंबई महानगरपालिका ने हाई कोर्ट में हलफनामा दायर किया था कि बांद्रा-पूर्व रेलवे स्टेशन से कलानगर तक स्काईवॉक का पुनर्निर्माण १५ महीने में पूरा कर लिया जाएगा। हालांकि, साल भर बीत जाने के बावजूद स्काईवॉक और फुटपाथ के पुनर्निर्माण का काम पूरा नहीं हो सका। मनपा का वादा केवल हलफनामा तक ही सीमित रह गया, जिसके बाद कोर्ट ने नाराजगी प्रकट करते हुए मनपा को हड़काया और सवाल किया कि मनपा प्रशासन की यह कार्रवाई कोर्ट की अवमानना है और क्यों न इसके तहत कार्रवाई की जाए? साथ ही मनपा को यह भी याद दिलाया कि स्वच्छ और चलने योग्य फुटपाथ उपलब्ध कराना मनपा की जिम्मेदारी और कर्तव्य है। बता दें कि याचिकाकर्ता वकील के.पी.पी.नायर ने एक याचिका के माध्यम से इसे अदालत के संज्ञान में लाया, जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया।
एक साल बाद भी काम नहीं हुआ शुरू
मुंबई महानगरपालिका ने हलफनामा के माध्यम से यह कहा था कि ठेका देने के १५ माह के अंदर इस स्काईवे का निर्माण करा दिया जाएगा। इस भूमिका की सराहना करते हुए कोर्ट ने स्काईवॉक के पुनर्निर्माण की मांग वाली जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि इससे नागरिकों को होने वाली समस्याओं का शीघ्र समाधान हो सकेगा।
कोर्ट ने मनपा को लगाई फटकार
कोर्ट ने मनपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि क्या हमें यह कहना चाहिए कि सभ्य समाज में साफ-सुथरे और चलने लायक फुटपाथ मुहैया कराना मनपा की जिम्मेदारी और कर्तव्य है? क्या हमें ये मान लेना चाहिए कि मनपा कोर्ट से वादा करती है और उसका पालन नहीं करती? मनपा ने कोर्ट से एक सप्ताह की समयसीमा मांगी, जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि क्या एक सप्ताह में स्काईवॉक बन जाएगा? इसके बाद कोर्ट ने मनपा को २७ मार्च तक अपनी भूमिका स्पष्ट करने को कहा।