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२७ वर्षों से ठप पड़ा है झोपड़पट्टी पुनर्वसन! नागरिकों में भारी आक्रोश, डेवलपर बदलने की उठी मांग

अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
`हम पिछले २७ वर्षों से अपने घरों से वंचित हैं। हम पिछले साढ़े चार साल से डेवलपर के खिलाफ लड़ रहे हैं।’ ये बातें झोपड़पट्टी पुनर्विकास योजना के अंतर्गत आनेवाले अभुदय नगर और जीजामाता नगर के निवासियों ने कही हैं। निवासियों द्वारा मांग की जा रही है कि डेवलपर की वित्तीय क्षमता की कमी के कारण इस परियोजना को इस डेवलपर से वापस लिया जाए। ऐसी मांग करते हुए भारी संख्या में लोग एसआरए के कार्यालय परिसर में एकत्रित हुए।
जीजामाता नगर, कालाचौकी स्लम पुनर्वास परियोजना में लगभग तीन हजार झुग्गियां हैं। यह परियोजना १९९५ में शुरू की गई थी। स्लम पुनर्वास प्रधिकरण ने इस परियोजना को गति देने के लिए योजना की घोषणा की। हालांकि, यह योजना अभी भी क्रियान्वित नहीं हो पा रही है। डेवलपर बदलने के मामले में अब तक एसआरए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सतीश लोखंडे के सामने दो सुनवाई हो चुकी हैं। दूसरी सुनवाई हाल ही में हुई, जिसमें मौजूदा डेवलपर से प्रोजेक्ट वापस लेने की मांग की गई। अब लोग मांग कर रहे हैं कि इस प्रोजेक्ट का काम खुले तरीके से टेंडर आमंत्रित कर शुरू किया जाए। संस्था के संस्थापक संजय गोसावी ने कहा कि एसआरए द्वारा अगले ७ दिनों में इस पर फैसला लिया जाए।
३३ हाउसिंग सोसायटी एकजुट
इस मांग को लेकर ३३ हाउसिंग सोसायटीज एकजुट हो गई हैं। इनमें जीजामाता नगर युवा संघर्ष समिति ने भी पिछले साल मौन जुलूस निकाला था। एसआरए के माध्यम से डेवलपर के खिलाफ १३/२ की कार्रवाई भी शुरू की गई। हालांकि, जब मामला सुनवाई के लिए हाईकोर्ट में गया तो संबंधित डेवलपर को दोबारा काम दे दिया गया। अब तक १५० झोपड़ियां ध्वस्त हो चुकी हैं, जबकि १७ झोपड़ीधारकों पर अधिनियम ३३/३८ के तहत कानूनी कार्रवाई की गई। इनमें से कुछ नागरिक ट्रांजिट कैंपों में रह रहे हैं और कुछ लीज पर रह रहे हैं। हालांकि, जीजामाता नगर स्लम पुनर्वास परियोजना को लागू करने की वित्तीय क्षमता संबंधित डेवलपर की नहीं है। निवासियों की मांग है कि एसआरए को इस डेवलपर को तुरंत हटा देना चाहिए और खुले तरीके से निविदाएं आमंत्रित करके नए डेवलपर को प्रतिस्थापित करना चाहिए।

इतने सालों के बाद भी हमारा प्रोजेक्ट रुका हुआ है। इस पर प्रशासन को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। ६० से ७० की उम्र तक पहुंच चुके हैं। अब हम चाहते हैं कि ये प्रोजेक्ट हमारी आंखों के सामने पूरा हो।
अंजना चव्हाण, अभ्युदय नगर
हम २५ वर्षों से इस परियोजना के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं। डेवलपर कहता है कि मैं काम करता हूं, लेकिन कुछ भी काम नहीं करता। ट्रांजिट कैंपों में रहने वाले लोग बेहद संकट में हैं, जिनकी झोपड़ियां ध्वस्त हो गईं, वे बेहद संकट में हैं।
निशा गायकवाड़, अभ्युदय नगर
नागरिक अब काफी गुस्से में हैं। हमें ऐसा डेवलपर नहीं चाहिए, जो हमें इतने सालों तक हमारे असली पक्के घर से वंचित रखा हो। किसी निजी डेवलपर की बजाय, एसआरए को खुली निविदा प्रक्रिया के माध्यम से डेवलपर बदल देना चाहिए।
किरण निकम, अभ्युदय नगर
जिनकी इमारतें नहीं गिरीं, उनके अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि हमें १३/२ के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए और डेवलपर को बदलना चाहिए। लेकिन २०२२ में सभी हाउसिंग एसोसिएशन एक साथ आए और मांग की कि हमें यह डेवलपर चाहिए। इसलिए, हमने यह स्थिति ली है कि प्री-विज देरी की बजाय २०२२ के बाद डेवलपर द्वारा किए गए कार्यों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। २०२२ के बाद कहीं भी किसी प्रोजेक्ट में देरी नहीं हुई, जिनकी झोपड़ियां गिरी हैं, उन्हें समय पर किराया दिया जा रहा है।
-दयानंद ढेरे, डेवलपर्स के वकील

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