सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई मनपा में सड़क निर्माण और मरम्मत को लेकर बड़े पैमाने पर घोटाला शुरू है। मनपा अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से हजारों करोड़ रुपए का मनपा को चूना लगाया जा रहा है, तो वहीं गुणवत्तपूर्ण काम करने वाले ठेकेदारों को मौका तक नहीं मिलता है। एक साजिश के तहत मनपा अधिकारी सड़क निर्माण का ठेका चुनिंदा ठेकेदार को ही देते हैं। इसके लिए वे ठेका टेंडर में नियम और शर्तों को उसके अनुसार प्रâेम करते हैं, यह एक रिंग की तरह काम करता है। इसका अंदाजा बांद्रा-पश्चिम में रंगशारद नाट्यगृह के पास सड़क निर्माण ठेका प्रक्रिया में लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं बड़ी परियोजनाओं के लिए जो सहूलियतें प्रदान की जाती है उसी की आड़ में छोटी परियोजना भी ठेकेदारों को दे दी जाती हैं। जिससे मनपा को राजस्व के तौर पर बड़ा नुकसान होता है।
दरअसल, बांद्रा-पश्चिम के पास रंगशारदा के सामने एक सड़क के निर्माण के लिए १०० करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया गया है। जनवरी महीने में यह टेंडर जारी किया गया। उसकी शर्तों और नियम को किसी खास ठेकेदार के लिए बनाया गया है, ऐसा स्पष्ट प्रतीत होता है। अब तक ८ बार उस टेंडर की तारीख बढ़ाई गई है। इतना ही नहीं ८ वीं बार उस टेंडर की शर्तों को और बदल दिया गया। जिसके चलते मात्र एक से दो ठेकेदार ही उसे भरने के लिए पात्र होंगे। ऐसा आरोप शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के विधानसभा में मुख्य प्रतोद व विधायक सुनील प्रभु ने लगाया है।
सुनील प्रभु ने ‘दोपहर का सामना’ को बताया कि मनपा में एक रिंग रैकेट शुरू हो गया है। मनपा के अधिकारी एक तो बड़ी परियोजना के तहत दी गई छूट की शर्तों पर छोटे ठेके भी दे रहे हैं। दूसरी बात टेंडर के लिए विशेष शर्तें तय करते हैं, ताकि केवल दो से तीन कंपनियां ही इसके लिए पात्र हों। यह बहुत बड़ा घोटाला है। हर साल लगभग २ से ढाई हजार करोड़ का घोटाला होता है। इस घोटाले की जांच की जानी चाहिए और बांद्रा के इस टेंडर को पहले रद्द किया जाना चाहिए। दोषी मनपा अधिकारियों और ठेकेदार पर कार्रवाई होनी चाहिए।
क्या है मामला
बता दें कि डब्ल्यू ४३९ के तहत बांद्रा-पश्चिम रंगशारदा क्षेत्र में सड़कों के पुनर्निर्माण के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं। करीब १०० करोड़ रुपए के इन कार्यों के लिए मनपा ने विशेष शर्तें रखी हैं, जिससे केवल दो से तीन कंपनियां ही पात्र होंगी। इस निविदा के लिए समय सीमा आठ बार बढ़ाते हुए आठवें प्रस्ताव में संशोधन किया गया। जिससे पता चलता है कि इस बात का ख्याल रखा गया है कि दूसरी कंपनियां इसमें हिस्सा नहीं लेंगी। यह जाबूझकर मनपा की ओर से की गई साजिश है।