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सपने दिखाकर सब छीन लिया… सरकारी अत्याचार के खिलाफ नागरिकों ने भरी हुंकार!

  • हजारों आदिवासियों ने लगाए नारे, कहा-हमारी मांगें पूरी करो नहीं तो कुर्सी छोड़ो
  • किसान, मछुआरों, आदिवासियों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर शुरू किया आमरण अनशन

योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर

देश के समग्र विकास के लिए परियोजनाओं की आवश्यकता है, इस भावना को ध्यान में रखते हुए पालघर के हजारों किसानों और आदिवासियों ने अपने उपजाऊ खेत और घर का मोह छोड़ दिया। इसी तरह किसानों के अलावा बड़ी संख्या में समुद्री किनारे मछलियां पकड़ने वाले मछुआरों ने अपनी आजीविका से समझौता करते हुए विस्थापन को स्वीकार किया। इसके बावजूद केंद्र और राज्य सरकार द्वारा प्रभावितों को फिर से बसाने के लिए किए गए वादे पूरे नहीं हुए हैं। इससे आदिवासी, किसानों और मछुआरों को कब न्याय मिलेगा? यह एक बड़ा सवाल है। सरकारी अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार से जिले में चल रही परियोजनाओं में ठेकेदार और दलाल जमकर धांधली कर रहे हैं। मुंबई-बड़ौदा एक्सप्रेस-वे परियोजना में मृतकों तक के नाम का मुआवजा हड़प लिया गया। कई लोग ऐसे हैं, जो मुआवजे के लिए ठोकर खा रहे हैं।
परियोजना के प्रभावितों को नहीं मिला न्याय
पालघर जिले में सिंचाई परियोजना सहित कई परियोजना जिले में आर्इं लेकिन एक भी परियोजना में प्रभावित लोगों को न्याय नहीं मिला, जिससे आज वे दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं। लोगों की बार-बार मांग के बाद भी सरकार और उसके अधिकारियों की कुंभकर्णी नींद नही टूटी। इसके बाद जिजाऊ शैक्षणिक सामाजिक संस्था के अध्यक्ष नीलेश सांबरे ने अपने समर्थकों सहित जिलाधिकारी कार्यालय के सामने आमरण अनशन शुरू कर दिया है। अनशनकारियों का आरोप है कि मामला बढ़ने पर सिर्फ जिलाधिकारी कार्यालय में बैठकर दिक्कतों को दूर करने का आश्वासन अधिकारियों द्वारा दिया जाता है। हालांकि, अधिकारी अपना भ्रष्टाचार छिपाने के लिए परियोजना परिभावितों की समस्याओं पर पर्दा डालने में लगे हैं।
सूखे पड़े हैं खेत
जिले में लेंडी लघु सिंचाई परियोजना, खड़खड़ बांध परियोजना, जय सागर बांध परियोजना, मोखाड़ा में वाघ लघु सिंचाई परियोजना, विक्रमगढ़ में देहर्जे परियोजना, कवडास उज्जैन बांध, सूर्या परियोजना सहित कई परियोजनाओं में प्रभावित हुए हजारों लोगों का समुचित पुनर्वास नहीं किया गया है। इसकी वजह से परियोजना पीड़ित अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। लोगों को खेतों की सिंचाई के लिए पानी मिलेगा और पेयजल की दिक्कत दूर होगी। स्थानीय लोगों ने परियोजना के लिए अपनी जमीनें दीं। लेकिन आज भी उनके खेत सूखे पड़े हैं और पेयजल के लिए उन्हें घर से काफी दूर तक भटकना पड़ता है। अनशनस्थल पर हजारों की संख्या में लोग जमा थे। लोगों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उनका कहना था कि या तो हमारी मांगें पूरी करो या कुर्सी छोड़ दो।

लोगों को सुंदर सपना दिखाकर उनका घर, जमीन, रोजगार सब कुछ छीन लिया गया। जिन गांव में उन्हें लाकर बसाया गया। वहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। विस्थापितों को मिली जमीन आज तक लोगों के नाम पर दर्ज नहीं हुई। परियोजना प्रभावितों को न्याय नहीं मिला है। मांग पूरी होने और भ्रष्टाचारी अधिकारियों पर केस दर्ज होने तक आमरण अनशन जारी रहेगा।
-नीलेश सांबरे, अध्यक्ष जिजाऊ शैक्षणिक सामाजिक संस्था

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