मुख्यपृष्ठग्लैमर‘तो मैं गलत और झूठ कह रही हूं!’-निकिता दत्ता

‘तो मैं गलत और झूठ कह रही हूं!’-निकिता दत्ता

शो ‘एक दूजे के वास्ते’ से अभिनय के क्षेत्र में अपनी शुरुआत करनेवाली निकिता आनंद ने ‘कबीर सिंह’, ‘ड्रीम गर्ल’, ‘बिग बुल’, ‘रॉकेट गैंग’ जैसी फिल्मों में अभिनय कर सफलता प्राप्त की। आंखों में अभिनय का सपना संजोए दिल्ली से मुंबई का रुख करनेवाली और बड़ी-बड़ी फिल्मों में काम करनेवाली निकिता दत्ता हालिया रिलीज मराठी फिल्म ‘घरत गणपति’ में नजर आ रही हैं। पेश है, निकिता दत्ता से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

मराठी फिल्म ‘घरत गणपति’ करने की क्या वजह रही?
वजह कोई नहीं थी और न ही मैंने कभी सोचा था कि मैं मराठी फिल्म में काम करूंगी। खैर, मराठी फिल्मों में कॉन्टेंट काफी समृद्ध होता है, यह मैं जानती थी। मुझे कोई मराठी फिल्म भी ऑफर कर सकता है, यह मैंने कभी सोचा नहीं था। ये मेरी खुशकिस्मती है कि मैंने इस फिल्म में काम किया।

मराठी फिल्म में काम करना कितना मुश्किल रहा?
ग्लोबल हो चुकी इस दुनिया में अब लैंग्वेज बैरियर नहीं रहा। हिंदी फिल्म के कलाकार साउथ की फिल्मों में काम कर रहे हैं और साउथ के कलाकार हिंदी फिल्मों में काम कर रहे हैं। वैजयंती माला, वहीदा रहमान, हेमा मालिनी, रेखा जैसी दर्जनों साउथ इंडियन नायिकाओं ने हिंदी फिल्मों पर राज किया है। तापसी पन्नू, तब्बू, रश्मिका मंदाना साउथ में शिखर पर रही हैं। मुश्किल भाषा समझने में हो सकती है, परंतु दुनिया की किसी भी भाषा की भावनाएं एक सी होती हैं।

फिल्म में काम करने का अनुभव कैसा रहा?
बेहद उम्दा और कभी न भूलने वाला। शुभांगी गोखले, अजिंक्य देव, अश्विनी भावे, भूषण प्रधान जैसे वरिष्ठ कलाकार इस फिल्म का हिस्सा हैं, ये मैं नहीं जानती थी। जब सेट पर पहुंची तो अहसास हुआ इन सभी कलाकारों की वरिष्ठता और अभिनय में उनकी मास्टरी। इन लोगों के सामने पहले मैं बड़ी नर्वस थी क्योंकि मुझे मराठी समझ में नहीं आती थी। इन सभी से मैंने काफी कुछ सीखा।

क्या साधारण फिल्मों और किरदारों का आपको फायदा हुआ?
मैंने यह अप्रोच हमेशा रखा कि किरदारों की लंबाई देखूंगी तो मुझे अर्थपूर्ण और मध्यवर्ती किरदार वैâसे मिलेंगे? फिल्म ‘लस्ट स्टोरीज’ के दौरान निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा का ध्यान मेरी तरफ गया। कोई भी किरदार व्यर्थ नहीं जाता। सफलता इंस्टेंट तो नहीं मिलती। हर छोटी सीढ़ी को चढ़ते हुए ही आगे जाना होता है। मेरे लिए यह एक सच्चाई है।

नॉन फिल्मी बैकग्राउंड की होने से बॉलीवुड में काम पाना और टिकना आपके लिए कितना मुश्किल रहा?
अगर मैं यह कहूं कि बॉलीवुड में प्रवेश करना, यहां काम पाना और टिक पाना बहुत आसानी से संभव हुआ तो मैं गलत और झूठ कह रही हूं। यह एक सच्चाई है कि आसान नहीं है आउट साइडर्स को फिल्म इंडस्ट्री में मौका मिलना, आगे काम पाना और यहां सर्वाइव होना। कभी मुझे ऑफर हुए रोल किसी और को दे दिए गए। कभी अच्छी फिल्म और अच्छा किरदार मिलने से खुशी हुई तो अन्याय होने पर हताशा और निराशा। यह संघर्ष थकाऊ था, पर आत्मविश्वास की वजह से मैं आगे बढ़ती गई।

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