मुख्यपृष्ठस्तंभसमाज के सिपाही : सामाजिक कार्यों के दम पर बनाई अलग पहचान

समाज के सिपाही : सामाजिक कार्यों के दम पर बनाई अलग पहचान

राजेश जायसवाल

अपने आत्मविश्वास को मैंने बुलंद बनाया है… सफलता का ये आलम मेरी मेहनत से सजाया है। आत्मविश्वास से लबरेज इन पंक्तियों को कहनेवाले दीपक आजाद सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद के मड़ियाहूं तहसील के एक छोटे से गांव भरथीपुर में हुआ। विनम्र, मित्रवत व्यवहार और पहली नजर में ही हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेनेवाली उनकी मधुर मुस्कान लोगों को उनके करीब आने के लिए विवश कर देती है।
दीपक कहते हैं कि लोगों की दुआओं में आने की कोशिश करो। स्वयं को दीपक बनाओ और जलो, तभी दूसरों तक प्रकाश पहुंचा सकोगे। धारावी में रहनेवाले युवा उत्तर भारतीय नेता और लोगों के चहेते युवा सामाजिक कार्यकर्ता दीपक सिंह ने अपनी सामाजिक सेवाओं की बदौलत सिर्फ उत्तर भारतीयों में ही नहीं, बल्कि हर वर्ग में अपनी अमिट पहचान बना ली है। हर वर्ग के लिए बिना किसी भेदभाव से उनके द्वारा किए जा रहे सामाजिक कार्यों की जमकर सराहना की जाती है। दीपक कहते हैं कि ईश्वर ने मुझे सब कुछ दिया है, मैं सिर्फ लोगों की समस्याओं के निराकरण के लिए दिन-रात मेहनत कर उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने का एक छोटा सा प्रयास करता हूं, जिसमें मुझे बहुत खुशी मिलती है। दीपक सिंह बताते हैं कि सुबह उठने के बाद से ही उनके पास जरूरतमंद लोगों के फोन आने लगते हैं और पूरा दिन लोगों की मदद करने में कब निकल जाता है, मालूम ही नहीं पड़ता। दीपक के मुताबिक, पिछली पांच पीढ़ियों से उनका परिवार मुंबई में ही रहता है इसलिए उन्हें अपनी पहचान बताने की कभी जरूरत ही नहीं पड़ती। अपने पिता आजाद सिंह के पदचिह्नों पर चलते हुए दीपक उन दिनों को याद करते हुए भावुक हो जाते हैं और कहते हैं कि कोरोना काल में जब संक्रमण ने पूरी धारावी को अपनी चपेट में ले लिया तो पूरा इलाका ही कंटेनमेंट जोन बन गया, तब भी अपनी जान जोखिम में डालकर अपने युवा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर वो धारावीकरों की हरसंभव मदद में जुटे रहे। चाहे किसी को अस्पताल में बेड की जरूरत हो या फिर रेमडेसिविर इंजेक्शन की। वे पूरे दिन अपना घर छोड़कर दोस्तों व कार्यकर्ताओं के साथ दूसरे का घर-परिवार बचाने के लिए इधर-उधर भटकते रहते। दीपक कहते हैं कि उस समय प्रशासन ने भी उनके सामाजिक कार्यों को देखते हुए उन्हें भरपूर सहयोग दिया और उनकी मेहनत रंग लाई, जिसने धारावी की तस्वीर ही बदलकर रख दी और उनके इन कार्यों के चलते कई सामाजिक संस्थाओं ने उन्हें प्रशस्ति पत्र और सम्मानचिह्न देकर ‘कोविड योद्धा’ से सम्मानित किया।

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