मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनासमाज के सिपाही : मेहनत, लगन और संकल्प ने दिलाई सफलता

समाज के सिपाही : मेहनत, लगन और संकल्प ने दिलाई सफलता

प्रेम यादव

शंकर झा का नाम का एक शख्स मीरा-भायंदर शहर में एक सफल उद्योगपति और समाजसेवी के रूप में तेजी से उभरा है। कम उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धियों को हासिल करना बिरले लोगों के ही हिस्से में आता है। शंकर झा ने ‘झा होम्स’ के माध्यम से कंस्ट्रक्शन उद्योग में एक विशिष्ट पहचान बनाई है। आज उनकी गिनती शहर के बड़े विकासकों में की जाती है और उनकी कंपनी सैकड़ों लोगों को रोजगार प्रदान करती है।
शंकर झा का जन्म बिहार के दरभंगा जिले के बरुआरा गांव में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी यहीं हुई। १२वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे दिल्ली आ गए, जहां उन्होंने बीबीए की पढ़ाई की और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के सहायक के रूप में कार्य शुरू किया। २००७ में इनका ट्रांसपर दिल्ली से मुंबई में हुआ। उन्होंने २००९ में सोल सेल की एक ब्रोकिंग फर्म की स्थापना की और अपनी मेहनत, लगन और संकल्प के साथ धीरे-धीरे सफलता की ओर कदम बढ़ाए। शंकर झा मानते हैं कि उनकी इस यात्रा में बहुत से लोगों का योगदान है और यदि नीयत सही हो तो भगवान अच्छे लोगों से मिलवा ही देते हैं। उनका विश्वास है कि यदि मेहनत ईमानदारी से की जाए तो ऊपरवाला खुद रास्ता दिखा देता है। आज शंकर झा मीरा रोड में अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहते हैं। शंकर झा का विश्वास महादेव में अडिग है और वे कठिन परिस्थितियों में महादेव को अपना आदर्श मानकर कार्य की शुरुआत करते हैं। केवल व्यवसाय ही नहीं, शंकर झा का समाज के प्रति भी गहरा लगाव है। वे मीरा-भायंदर में ‘बिहार छठ पूजा प्रâंट’ संस्था के माध्यम से छठ पूजा का आयोजन करते हैं। कोविड-१९ महामारी के दौरान उन्होंने समाजसेवा का अभूतपूर्व उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने ७४ दिनों तक भोजन का भंडारा चलाया, जिससे असंख्य लोगों को भोजन मिला। इसके साथ ही उन्होंने लोगों को राशन, दवाइयां, मेडिकल किट और घरेलू सामग्री भी उपलब्ध कराई। उनकी नि:स्वार्थ सेवा और सहानुभूति ने उन्हें लोगों के दिलों में एक खास स्थान दिया। शंकर झा ने ‘बेटी है तो कल है’ संस्था के माध्यम से समाजसेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस संस्था के जरिए महिलाओं को सिलाई मशीनें और दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर बांटी। शंकर झा का जीवन एक प्रेरणा है। एक उद्यमी के साथ-साथ वे एक निष्ठावान समाजसेवी हैं, जो समाज के उत्थान और भलाई के लिए निरंतर कार्यरत रहते हैं। उनकी यह यात्रा एक मिसाल है कि किस प्रकार सेवा, समर्पण और साहस से जीवन में नई ऊंचाइयां हासिल की जा सकती हैं।

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