मुख्यपृष्ठस्तंभसमाज के सिपाही : जनसेवा ही समाज की है असली सेवा

समाज के सिपाही : जनसेवा ही समाज की है असली सेवा

सगीर अंसारी
दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जो जीवन में आए उतार-चढ़ाव से हार न मानते हुए अपनी मेहनत के बलबूते अपनी किस्मत को बदल देते हैं। ऐसे ही व्यक्तियों में से एक अनवर शेख ने अपनी मेहनत की कमाई से न केवल अपने बेटों, बल्कि दूसरे बच्चों की कामयाबी में भी अहम भूमिका निभाई है। देश सेवा विरासत में पानेवाले अनवर शेख के दादा चेन्नई के एक गांव कोबूकोनलम में देश की आजादी से पहले पैदा हुए। स्वतंत्रता सेनानी कृष्ण स्वामी भारती के साथ मिलकर वे देश की आजादी की लड़ाई में शामिल हुए और देश को आजादी मिलने के बाद वह सांसद बने। कृष्ण स्वामी भारती के साथ देश की राजनीति में सक्रिय होने और कई सालों तक राजनीति करने के बाद वो वर्ष १९५० में काम की तलाश में मुंबई आ गए और यहां आने के बाद उन्होंने गोदी में नौकरी की। मुंबई में ही अनवर शेख के पिता अब्दुल्लाह शेख का जन्म हुआ। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद अब्दुल्लाह शेख ने सिविल कॉन्ट्रैक्ट का काम शुरू किया। वर्ष १९७७ में अनवर शेख का जन्म मुंबई के विक्रोली इलाके में हुआ। संपन्न परिवार से ताल्लुक रखनेवाले अनवर शेख ने स्नातक तक पढ़ाई की और पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने सिविल कंस्ट्रक्शन और बिल्डिंग मैटेरियल सप्लाई का काम शुरू किया। कामयाबी की सीढ़ी चढ़ते हुए स्वतंत्रता सेनानी परिवार से ताल्लुक रखनेवाले अनवर शेख के दिल में हमेशा देश के लोगों की मदद का जज्बा रहा। इसी जज्बे के तहत उन्होंने कम उम्र से ही गरीबों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया। वर्ष १९९७ में विवाहोपरांत वे दो बेटों के पिता बने। बेटों की परवरिश में उन्होंने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी और उन्हें अच्छी शिक्षा दिलवाई। उनका बड़ा बेटा अमन वकील बनकर गरीब व जरूरतमंदों के केस लड़ रहा है, वहीं छोटा बेटा आदिल लॉ के तीसरे वर्ष का छात्र है। वर्ष २००१ में अपना राजनीतिक सफर शुरू करते हुए अनवर शेख राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और पार्टी के बैनर तले अपनी राजनीति शुरू की। हमेशा से ही लोगों की मदद में आगे रहे अनवर शेख जैसे लोग आज दुनिया में बहुत कम हैं जो जरूरत पड़ने पर खुद का पैसा लगाकर लोगों की मदद के लिए तत्पर रहते हैं। अनवर शेख का कहना है कि जनसेवा ही समाज की असली सेवा है और अगर देश का हर नागरिक जनसेवा को ही अपना कर्म समझ ले तो दुनिया में अपने देश से बढ़कर कोई देश नहीं हो सकता है।

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