मुख्यपृष्ठस्तंभसमाज के सिपाही : शाह की चाहत, हर बच्चा हो शिक्षित

समाज के सिपाही : शाह की चाहत, हर बच्चा हो शिक्षित

 

सगीर अंसारी
दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो सिर्फ अपने काम पर विश्वास रखते हुए लोगों की सेवा को अपना धर्म समझते हैं। ऐसे ही एक समाजसेवक हैं मोहम्मद शाहनवाज हाजी मोहम्मद मांगरू शाह, जिन्होंने काफी कम उम्र में सफलता की ऊंचाइयों को छूते हुए समाज में अपना एक अलग मुकाम बनाया। उत्तर प्रदेश के पिपराबोरिंग गांव, जिला संतकबीरनगर से ताल्लुक रखनेवाले मोहम्मद शाहनवाज वर्ष १९९० में गोवंडी के कमलारामन नगर में जन्मे और यहां के लोगों की सेवा को उन्होंने अपना कर्तव्य बनाया। मोहम्मद शाहनवाज के पिता हाजी मोहम्मद मांगरू शाह वर्ष १९७२ में शिक्षा अधूरी छोड़कर मुंबई के दो टाकी क्षेत्र में आए और अपने पारिवारिक कपड़े के व्यापार से जुड़ गए और १९८५ में अपना स्व्रैâप का कारोबार शुरू कर वे गोवंडी के कमलारामन नगर आ गए। मोहम्मद मांगरू शाह ने अपने कारोबार और परिवार के साथ ही क्षेत्र की जनता का भी अपने परिवार की तरह खयाल रखा। उनके सुख-दुख में खड़े रहे इसलिए इस क्षेत्र के एक नाके का नाम उनके नाम पर शाही नाका पड़ गया। कमलारामन नगर में बुनियादी सुविधाओं का अभाव था इसलिए क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से वर्ष १९९० में वो कांग्रेस में शामिल हो गए। तत्कालीन विधायक व पूर्व शिक्षामंत्री प्रो. जावेद खान के साथ मिलकर उन्होंने कई बुनियादी कार्य किए। हाजी मोहम्मद मांगरू शाह ने २०१० में अपने गांव पिपराबोरिंग से जिला पंचायत का चुनाव और वर्ष २०१५ में ग्राम सभा बटसरा से प्रधानी का चुनाव लड़ा। पिता हाजी मांगरू शाह द्वारा जारी समाजसेवा को आगे बढ़ाते हुए मोहम्मद शाहनवाज गरीबों के इलाज में पीछे नहीं हटे। क्षेत्र में बढ़ते क्राइम व महिलाओं और लड़कियों के साथ होनेवाली छेड़छाड़ को रोकने के लिए मोहम्मद शाहनवाज ने लंबी लड़ाई लड़ी। क्षेत्र की गरीब लड़कियों की शादी करवाने के साथ ही गरीब छात्रों को शिक्षा दिलाने में भी वो पीछे नहीं रहे। शाहनवाज शाह ने गरीबों के टूटे-फूटे घरों को बनाने में उनकी मदद की। अपने पिता की मदद से सरकारी अस्पतालों में इलाज करवा रहे मरीजों को फल-फ्रूट के साथ उनके खाने की व्यवस्था की। १२वीं तक शिक्षा प्राप्त करनेवाले शाहनवाज शाह का हमेशा से सपना रहा है कि क्षेत्र का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।

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