सगीर अंसारी
इंसान की जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, कुछ हार मानकर जिंदगी से समझौता कर लेते हैं और कुछ समाज व परिवार के उज्ज्वल भविष्य की खातिर जद्दोजहद करते हुए समाज में अपना मुकाम पा लेते हैं। इद्रीसी इकबाल अहमद नसीब अली का शुमार भी ऐसे ही व्यक्तियों में होता है, जिन्होंने काफी तकलीफों के बावजूद अपनी तरक्की की उड़ान को धीमा नहीं होने दिया। इद्रीसी इकबाल अहमद के पिता इद्रीसी नसीब अली उत्तर प्रदेश के जिला सिद्धार्थ नगर के गांव मसैचा में वर्ष १९६५ में पैदा हुए और गांव में ही शिक्षा प्राप्त कर अपने पिता लैस मोहम्मद के साथ उनके काम में उनका हाथ बटाते। अपने परिवार के साथ-साथ लोगों के सुख-दुख में शामिल होकर गांव में समाजसेवा करते। पिता के देहांत के बाद भाइयों में जायदाद को लेकर हुए तनाव के चलते पत्नी को गांव में छोड़कर अपने परिवार के भविष्य की खातिर वे वर्ष १९८२ में रोजी-रोटी की तलाश में मुंबई आ गए और कॉटनग्रीन के एक गारमेंट कारखाने में नौकरी करने लगे। कुछ वर्ष बाद उन्होंने पत्नी को मुंबई बुलाया, लेकिन परेशानियों के चलते उन्होंने पत्नी को वापस गांव भेज दिया, जहां १९८५ में इद्रीसी इकबाल अहमद का जन्म हुआ। पांच भाई और चार बहनों में सबसे बड़े इकबाल अहमद चार वर्ष की उम्र में मां के साथ मुंबई आ गए और गोवंडी के स्कूल तकवितुल ईमान हाई स्कूल में उनका दाखिला उनके पिता ने करवाया। १०वीं तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने नारायण गुरु कॉलेज से १२वीं तक पढ़ाई की, परंतु इसी दौरान उनका विवाह हो गया और पिता के गारमेंट कारोबार में कुछ समय काम करने के बाद इकबाल ने अपना अलग कारोबार करने का मन बनाते हुए एसी का काम सीखा और अपने कारोबार की शुरुआत की। कारोबार में तरक्की मिलने के बाद बाप-दादा से विरासत में मिली समाजसेवा का जज्बा पानेवाले इकबाल ने अपने गांव- घर के लोगों की मदद के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया। मुंबई जैसे शहर में काम की तलाश में आनेवाले लोगों की मदद में हमेशा आगे रहनेवाले इकबाल अहमद ने गरीब बच्चों की शिक्षा में मदद कर उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाने में अहम भूमिका निभाई। अपने परिवार के साथ गरीबों की मदद में भी आगे रहे। इकबाल अहमद का कहना है कि मेरी नजर में मेरे परिवार के साथ ही मुंबई भी मेरा परिवार है और धर्म से काफी ऊपर समाज और देश है।