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समाज के सिपाही : शहर के विकास के लिए बनना चाहते हैं विधायक

अनिल मिश्रा

‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र को माननेवाले संजय कन्हैयालाल गुप्ता ‘ओनभवा’ संस्था के तहत मानव सेवा को माधव सेवा मानते हुए दुखियों की सेवा करने में जुटे हैं। उनकी सेवा भावना को देख उल्हासनगर के राजनीतिज्ञों को पसीने छूट रहे हैं। संजय गुप्ता का मानना है कि मेरी कर्मभूमि उल्हासनगर है और हर समाज के लोग मेरे भाई-बहन हैं। इन दोनों को विकास के नाम पर लुटते हुए मैं नहीं देख सकता। उल्हासनगर जैसी समस्या शायद ही किसी शहर में होगी। वर्ष में ११ महीने उल्हासनगर की सड़कों पर गड्ढे दिखते हैं। पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। ऐसा क्यों हो रहा है, कोई पूछने वाला नहीं है। पार्विंâग न होने से व्यापारी परेशान हैं। उल्हासनगर में सिंधी समाज का राजनीतिक वर्चस्व होने के बावजूद व्यापारियों सहित सिंधी समाज के लोग परेशान हैं। युवकों को रोजगार देने में स्थानीय नेता फेल साबित हो रहे हैं। जो नेता कभी अधिवेशन में उल्हासनगर की समस्या को लेकर आवाज नहीं उठा सका वह शहर का क्या विकास करेगा। उल्हासनगर को अच्छे मार्ग पर ले जाने के लिए विधायक बनना चाह रहे संजय गुप्ता का कहना है कि वे सरकारी पेंशन पाने के लिए राजनीति में नहीं उतर रहे हैं। उल्हासनगर के लोगों को विधायक की जगह एक बार कामगार को चुनने की जरूरत हैं। संजय गुप्ता का कहना है कि वे राजनीति सड़क से करना चाहते हैं। राजा बनने की बजाय लोकसेवक बनने की जरूरत है। संजय गुप्ता बताते हैं कि वे समाज के हर सुख-दुख में जाते हैं। शहर की हालत देखकर दु:ख होता है। सरकारी फंड का दुरुपयोग हो रहा है। संजय गुप्ता धार्मिक कार्यों में महाप्रसाद, दिव्यांग, विधवा, गरीबों को अन्न दान देते हैं। मध्यवर्ती अस्पताल में जन्म लेनेवाली कन्या को पांच हजार रुपए नकद घर जाकर देते हैं। कई विद्यालयों की उन्होंने मरम्मत करवाई। संजय गुप्ता को दो बच्चे हैं। बेटा उनके टी शर्ट कारोबार को संभाल रहा है और बेटी पढ़ाई कर रही है। उनके सामाजिक कार्य को पत्नी का सहयोग मिल रहा है। संजय गुप्ता कहते हैं कि मेरी आर्थिक स्थिति ठीक है, परंतु पावर की जरूरत है इसीलिए राजनीति में उतरा हूं। उल्हासनगर का चेहरा बदलने के लिए राजनीतिक चेहरा बदलने पर ही विकास होगा।

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