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आरपीएफ के टीएमएम ऐप से मानसिक बीमार हो रहे जवान! … समस्या सुनने वाला कोई नहीं, जवानों में नाराजगी

सामना संवाददाता / मुंबई
आरपीएफ के ट्रांसफर और पोस्टिंग में पारदर्शिता लाने के लिए शुरू की गई टीएमएम (ट्रांसफर मैनेजमेंट मॉड्यूल) अब जवानों की परेशानी बढ़ा दी है। उनकी समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है, जिसका नतीजा यह है कि अब आरपीएफ जवान मानसिक रूप से बीमार होने लगे हैं। इसके बाद आरपीएफ की यूनियन को बंद कराए जाने का दबाव बनाने की जोरदार चर्चा आरपीएफ गोली कांड के बाद एक बार फिर शुरू है।
आरपीएफ जवानों द्वारा कई बार परिवार में होने वाली किसी समस्या को देखते हुए ट्रांसफर कराया जाता है। इसके लिए आरपीएफ अधिकारी या जवान अपनी समस्या आरपीएफ के आला अधिकारियों के सामने रखते हैं। समस्या को देख अधिकारी उन्हे पास में पोस्टिंग देने की कोशिश करते है। इस तरह की पोस्टिंग में होने वाले आरोपों से बचने के लिए रेलवे डीजी की तरफ से आरपीएफ ने एक सॉफ्टवेयर डेवलप किया है, जिसका नाम है ई-सुविधा। इसमें जहां सभी आरपीएफ कर्मचारियों के सर्विस रिकॉर्ड दर्ज किए गए हैैं। साथ ही एक थाने से दूसरे थाने पर ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए एनुअल टेन्योर पूरा होते ही उनका टीएमएम (ट्रांसफर मैनेजमेंट मॉड्यूल) के तहत आटोमैटिक ही ट्रांसर्फर-पोस्टिंग कर दिए जाएंगे, जिसमें पदाधिकारियों की मनमानी नहीं चलेगी। साफ्टवेयर खुद ही पदाधिकारी और जवानों का तबादला कर देगा, लेकिन अब यह ऐप जवानों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है। आरपीएफ यूनियन के पूर्व महासचिव दिनेशचंद्र पांडेय ने बताया कि यह ऐप सफल नहीं है। इस ऐप के माध्यम से ट्रांसफर करने के लिए आवेदन किया जाता है, लेकिन आवेदन पर समस्या सुनने वाला कोई नहीं होता है। ऐसे में मनमानी तरीके से ट्रांसफर किया जा रहा है, जिसका नतीजा है कि जवानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए इस ऐप से ट्रांसफर करते समय जवानों की समस्याओं को सुनना भी जरूरी है।

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