आनंद श्रीवास्तव
रोजगार, शिक्षा तथा अन्य कार्यों के लिए जहां ग्रामीण इलाकों में रहनेवाले लोग शहरों में बस रहे हैं, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में रहना पसंद करते हैं। इन्हीं में से एक हैं देवेंद्र शर्मा, जो मुंबई में स्थापित होने के बावजूद बदलापुर रहने चले गए और अपना ज्यादा-से-ज्यादा समय कर्जत व खोपोली के ग्रामीण इलाकों में गुजार रहे हैं। किसानों और ग्रामीणों को ज्यादा-से-ज्यादा मुनाफा कैसे मिले, इसके लिए उनका मार्गदर्शन करने में देवेंद्र शर्मा जुटे रहते हैं।
देवेंद्र शर्मा के पिता लालबाग स्थित वोल्टास कंपनी के इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत थे। वे मुंबई के चेंबूर इलाके में रहते थे। उन्होंने अपने बेटे देवेंद्र शर्मा को पढ़ा-लिखाकर ग्रेजुएट बनाया। इस दौरान देवेंद्र छोटे-मोटे ट्यूशन पढ़ाया करते थे। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने खुद की कोचिंग क्लास शुरू की, जिसमें वे बेहद व्यस्त हो गए। कोचिंग क्लासेस चलाते हुए देवेंद्र शर्मा ने वकालत की पढ़ाई पूरी की और प्रैक्टिस करने लगे। लेकिन इसमें उनका मन नहीं लग रहा था। इसकी वजह थी कि उन्होंने अपने जीवन का एक लक्ष्य तय कर रखा था और वह थी ‘समाजसेवा’। आखिरकार, उन्होंने ग्रामीणों के बीच पहुंचकर उनकी मदद करते हुए समाजसेवा के कार्य को शुरू किया।
कॉलेज में पढ़ते समय एनएसएस के सक्रिय वालंटियर के रूप में देवेंद्र शर्मा रक्तदान शिविर, गणपति विसर्जन के दौरान क्राउड कंट्रोल, विभिन्न सामाजिक विषयों पर जनजागृति के लिए नुक्कड़ नाटक का आयोजन और पालघर के आदिवासी इलाके में होनेवाले वैंâपिंग में हिस्सा लेते थे। सोशल वर्क में पहले से लगाव होने के कारण अब वे अपने दैनंदिन जीवन में ज्यादातर समय सामाजिक कार्यों को दे रहे हैं। बदलापुर से कर्जत के ग्रामीण लोगों के खेतों में उपजी सब्जी, फल, अनाज व अन्य खाद्य पदार्थों को ट्रांसपोर्ट के जरिए एपीएमसी मार्वेâट में पहुंचाकर ग्रामीणों को ज्यादा-से-ज्यादा मुनाफा दिलाने जैसे कार्य देवेंद्र शर्मा कर रहे हैं। वह रोटरी क्लब ऑफ बदलापुर के वृक्षारोपण, रक्तदान शिविर और अन्य सामाजिक उपक्रम में हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने लोगों को नैतिक शिक्षा देने के उद्देश्य से कई पुस्तकें भी लिखी हैं। इन पुस्तकों को ‘ऐमेजॉन’ पर अच्छा प्रतिसाद भी मिल रहा है।