आनंद श्रीवास्तव
समाज के हर तबके का विकास और उनकी सेवा करने का प्रण लिए मीनाक्षी पाटणकर लगातार सबकी मदद के लिए मुहिम चलाती रहती हैं। विशेष तौर पर दिव्यांगों और बेसहारों की यथासंभव मदद करने का कार्य वह अक्सर करती नजर आती हैं। मुंबई के घाटला में ही उनका जीवन बीता है। अपने नगरसेवक पति अनिल पाटणकर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेनेवाली मीनाक्षी पाटणकर ने लगभग ४ वर्ष पहले ‘मां फाउंडेशन’ की स्थापना की, ताकि फुल टाइम वह समाज कार्य कर सकें। ‘मां फाउंडेशन’ के माध्यम से दिव्यांगों और बेसहारों को सहारा देने का काम वे अनोखे ढंग से करती हैं। इसके लिए खेल प्रतियोगिता का आयोजन, दिवाली व अन्य स्नेह मिलन कार्यक्रम और विविध स्पर्धाओं का आयोजन कर इनका हौसलाअफजाई करने का काम मीनाक्षी पाटणकर करती रहती हैं। हाल ही में वह चेंबूर नागरिक सहकारी बैंक के संचालक मंडल में भी चुनी गई हैं। संचालक के रूप में भी अब तक उन्होंने सराहनीय कार्य किए हैं। मीनाक्षी पाटणकर ने ‘मां फाउंडेशन’ के तहत मनपा स्कूलों में दसवीं-बारहवीं कक्षा में अव्वल आए छात्रों का तो सम्मान किया ही साथ ही अन्य छात्रों की भी हौसलाअफजाई की। इसके लिए उन्होंने घाटला मनपा स्कूल के सभी छात्रों को स्कूली सामग्री का वितरण किया।
‘मां फाउंडेशन’ के अलावा निजी तौर पर भी मीनाक्षी पाटणकर और उनके पति पूर्व नगरसेवक अनिल पाटणकर सभी जरूरतमंदों की मदद करते रहते हैं। कोरोना काल में किए गए इनके कार्य क्षेत्र के लोगों को आज भी याद है। कोविड मरीज को अस्पताल पहुंचाने से लेकर मरीज के परिवारवालों को खाना-राशन पहुंचाने तक का कार्य इन्होंने किया है। इस दौरान इन्होंने अपनी जान की परवाह भी नहीं की। मीनाक्षी पाटणकर कहती हैं कि ‘लोग हैं तो हम हैं। यदि हमारी सेवा सच्ची है तो हमें कुछ नहीं होगा।’ इनकी इसी सेवाभाव के चलते क्षेत्र में मीनाक्षी और अनिल पाटणकर एक पहचान और विश्वास का नाम बन गए हैं।