मुख्यपृष्ठस्तंभसमाज के सिपाही : आदिवासी महिलाओं को स्वरोजगार की ट्रेनिंग 

समाज के सिपाही : आदिवासी महिलाओं को स्वरोजगार की ट्रेनिंग 

आनंद श्रीवास्तव

महिलाओं और छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करने का बीड़ा उठाए ‘सक्षम फाउंडेशन’ के कार्यकर्ताओं के साथ इस संस्था की डायरेक्टर तृप्ति कदम प्रत्येक सप्ताह के अंत में आदिवासी इलाके में पहुंच जाती हैं। महिला सक्षमीकरण इनकी प्राथमिकता है। नई मुंबई के कलंबोली में रहनेवाली तृप्ति कदम की पढ़ाई-लिखाई मुंबई में हुई। सोशल वर्क्स में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद कई सामाजिक संस्थाओं में कार्य कर अनुभव प्राप्त करने के पश्चात उन्होंने अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर वर्ष २०१५ में खुद की संस्था `सक्षम फाउंडेशन’ का गठन किया। इस संस्था का उद्देश्य आदिवासी और ग्रामीण महिलाओं को ट्रेनिंग देकर स्वरोजगार उपलब्ध कराना तथा क्षेत्र की महिलाओं और छात्राओं को मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता और हाइजीन के बारे में जानकारी देना है, ताकि इस दौरान उनके स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रप्रभाव न पड़े। तृप्ति कदम अब तक ‘सक्षम फाउंडेशन’ के माध्यम से कई सीएसआर प्रोजेक्ट को अंजाम दे चुकी हैं, जिसके कारण लगभग २,००० आदिवासी महिलाओं को रोजगार उपलब्ध हो चुका है। हाल ही में लॉ करके वकालत की प्रैक्टिस शुरू कर चुकी तृप्ति का कहना है कि घरेलू हिंसा की शिकार गरीब व जरूरतमंद महिलाओं को मुफ्त में सलाह देकर वे उनकी मदद करती हैं। इसके लिए कुछ एडवोकेट सहकर्मियों के साथ मिलकर उन्होंने मुंबई, ठाणे और नई मुंबई इलाके में मुफ्त काउंसलिंग सेंटर भी शुरू किए हैं। उन्होंने बताया कि इस मुफ्त काउंसलिंग सेंटर का लाभ कई महिलाएं उठा चुकी हैं।
तृप्ति कदम कहती हैं कि यह सारा कार्य वह सीएसआर के तहत करती हैं, जिसमें विभिन्न कंपनियां उनकी संस्था ‘सक्षम फाउंडेशन’ को प्रोजेक्ट देती हैं। इसी सीएसआर के पैसे से वे संस्था का खर्च चलाती हैं। कई बार खर्च ज्यादा हो जाता है, संस्था में काम करनेवाले वॉलिंटियर्स को तनख्वाह देने तक के पैसे नहीं रहते हैं, ऐसे में कहीं से उधार लेकर इन्हें देना पड़ता है। वे कहती हैं कि यह सामाजिक कार्य उन्हें अच्छा लगता है इसलिए भले ही जेब से पैसा क्यों न डालना पड़े वे इसी तरह कार्य करती रहेंगी।

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