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कुछ आलसी जज समय पर नहीं लिखते फैसले! …एससी के रिटायर्ड जस्टिस चेलमेश्वर बोले-कई तो ऐसे हैं, जिन्हें काम ही नहीं आता

सामना संवाददाता / कोच्चि
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने कुछ जजों को आलसी बताया है। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम बेहद अपारदर्शी तरीके से काम करता है। जजों के खिलाफ कोई आरोप सामने आता है तो अक्सर कोई कार्रवाई की ही नहीं जाती। उन्होंने ये भी दो टूक कहा कि कुछ जज आलसी हैं और समय पर पैâसले तक नहीं लिखते हैं। उन्हें पैâसले लिखने में सालों लग जाते हैं। कई तो ऐसे हैं, जिन्हें काम ही नहीं आता है। जस्टिस चेलमेश्वर केरल के कोच्चि में ‘क्या कॉलेजियम संविधान से अलग है’ विषय पर सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम के सामने तमाम मामले आते हैं लेकिन अक्सर कुछ नहीं होता है। अगर जजों के खिलाफ आरोप गंभीर हैं तो एक्शन लिया जाना चाहिए। सामान्य तरीका है कि जिस जज पर आरोप है, उसका ट्रांसफर कर दिया जाए।
जजों के चयन को नहीं दिया सुझाव -चेलमेश्वर
उन्होंने कहा कि अब अगर मैं कुछ कहता हूं तो रिटायरमेंट के बाद यह कहकर ट्रोल हो जाऊंगा कि मैं न्यायपालिका को क्यों परेशान कर रहे हैं? लेकिन यह मेरी किस्मत है। मैंने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग मामले में अपने असहमति पूर्ण पैâसले में कभी भी जजों के चयन को कार्यपालिका को सौंपने का सुझाव नहीं दिया। जस्टिस चेलमेश्वर ने कानून मंत्री किरण रिजिजू के ४२वें संशोधन को लेकर दिए गए बयान पर कहा कि किसी का इस बात पर ध्यान नहीं है कि कॉलेजियम सिस्टम को वैâसे मजबूत किया जाए ताकि आम आदमी को इसका लाभ मिले।
सरकारें क्यों पेश करती हैं सीलबंद लिफाफा?
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से सीलबंद लिफाफों के खिलाफ हूं। जो मामले से जुड़ा दूसरा पक्ष नहीं देख पाता और हम उसे दिखाए बिना मामले का पैâसला करते हैं। यह मूल रूप से न्यायिक प्रक्रिया के उलट है। अदालत में गोपनीयता नहीं हो सकती।

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