गीतों गजलों कविताओं में ।
अपनी बात बताता जा।।
इस समाज की सच्चाई को।
सच्चे मन से गाता जा।।
शुभ मंगल हो इस समाज का।
ऐसा मंत्र जगाता जा।।
मानवता का भाव जगा कर ।
अपना प्रेम लुटाता जा।।
जो सज्जन हैं उन लोगों से ।
हरदम हाथ मिलाता जा।
बढ़ चढ़कर तुम करो एकता।
उत्तम देश बनाता जा।।
अपने ऊंचे आदर्शों का।
हरदम मान बढ़ाता जा।
दिल के भीतर सच्चाई का ।
हरदम बिगुल बजाता जा।।
मौसम को माकूल बनाकर।
गाता और बजाता जा।।
दुख दर्दों वाली बस्ती में।
सेवा धर्म निभाता जा।।
शब्दों में करुणा रस भर कर ।
सबका दर्द मिटाता जा।।
गीतों गजलों कविताओं में ।
अपनी बात बताता जा ।।
-अन्वेषी