जीना मोहक बनाया मोहन ने
देकर गीता का यह अमृत उपदेश,
गर मन में कुछ भर के जिएंगे
तो मन भर के ना जी पाएंगे
होते कामयाब वही अक्सर जीवन में
सोच अपनी से जो जहां बदलते हैं !
वक्त करवाता अपनों का एहसास
भेद ये भी बतलाया योगेश्वर ने,
बेशक अपनो के साथ बिताया
वक्त पता नहीं चलता
किंतु वक्त के साथ होती है
जग में परख अपने और पराए की !
पथ कामयाबी का दिखलाया
तुम्हीं ने माधव गाकर पावन गीत,
कर्म करें बिन फल लोभ के
खुश रहें सदा अपनों के साथ
बेशक दूजों में हस्ती न हो हमारी
पर अपनों के लिए होते हैं खास !
-मुनीष भाटिया
आई श्री कृष्ण जन्माष्टमी
स्वयं भगवान के मुखवाक
जब-जब भू पर बढ़े पाप
मैं लेता अवतार
मिटाता जन पर जो होता अत्याचार।
देव विष्णु ने लिया मथुरा में जन्म
माता देवकी की आठवीं संतान बन।
चंद्रवंशी, यदुकुल में
भाद्र मास, कृष्ण पक्ष अष्टमी
रोहिणी नक्षत्र, मध्य रात्रि हुए अवतरित।
खुले बंधन मां देवकी के
टूट गए कारावास के द्वार।
बांस मंजुषा में छिपा लिया
नंद बाबा कर गए उफनती कालिंदी पार।
गोकुल, ब्रजभूमि के लो
अब जग गए भाग।
बाल रूप से ही दिखाई लीलाएं
असुरों का किया विनाश।
यमुना तट कदंब, तमाल कुंजों में
बाल, गोपाल संग धेनु चराईं
अमृत बरसाती अपनी वेणु बजाई।
नवनीत चुराया सबके घर से
नंद आंगन माखन मिश्री खाई।
होली खेली राधा रानी संग
सखिय संग रास रचाई।
नथ दिया नाग कालिया
उठा पर्वत गोवर्धन, इंद्र ताप से
ब्रज भूमि बचाई।
मां यशोदा को वृहत रूप दिखाया
दुष्ट कंस का कर दिया अंत।
महाभारत के आप ही थे नायक
अधर्म पर धर्म को जीत दिलाई।
रण क्षेत्र में बने पार्थ सारथी
परम ज्ञान की गीता सुनाई।
पांचजन्य था प्रिय शंख
उंगली पर सुदर्शन चक्र उठाया।
कन्हैया, माधव, श्याम, गोपाल
द्वारकेश, वासुदेव, देवकीनंदन कहाई
आई श्री कृष्ण जन्माष्टमी
सारे जग को हो बधाई।
-बेला विरदी