अमिताभ श्रीवास्तव
यूं भले ही ऑफिस में झपकी लेते कर्मचारी पर
बॉस की डांट पड़ती हो, मगर यह बुरा नहीं है। अब ऑफिस में झपकी ली जा सकती है। जी हां, अगर आपको भी ऐसी झपकी लेने की कोई आदत है तो अब डरने की बात नहीं है, क्योंकि अब बहुत सारी कंपनियां खुद ही कर्मचारियों को नींद लेने को कह रही हैं। जिस तरह से कंपनी में लंच ब्रेक और टी ब्रेक दिया जाता है, उसी तरह से अब कई जगह पर काम के बीच एक छोटा-सा पावर नैप की सुविधा मिलेगी। इससे कोई नुकसान तो नहीं होगा, बल्कि आपको फायदा ही होगा। इससे प्रोडक्टिविटी बढ़ जाएगी और आप एक बेस्ट एंप्लॉई बन पाएंगे। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि ऐसा नासा की तरफ से हुई स्टडी में खुलासा हुआ है। नासा की रिसर्च में यह बात सामने आई है कि अगर आप १० मिनट से लेकर २५ मिनट तक सोते हैं तो आप ज्यादा अलर्ट रह सकते हैं। ऐसा करने से आपका फोकस ३४ फीसदी अधिक हो जाता है। इन छोटी-छोटी झपकियों को वैâटनैप कहा जाता है। नासा की एक स्टडी आई, जिसमें यह कहा गया है कि नैप यानी के कुछ मिनटों से लेकर ४५ मिनट तक की नींद लेने के बड़े फायदे हैं। खासकर जब नींद दोपहर में ली जाए, तब इसके खूब फायदे मिलते हैं।
दिमाग के कीड़े
क्या आप जानते हैं दिमाग में भी कीड़े लग जाते हैं? नहीं जानते तो अब जान लीजिए। कुछ लोगों को कहते हुए सुना होगा कि पत्ता गोभी खाने से दिमाग में कीड़े हो जाते हैं। इन बातों को सुनकर हम खिल्ली में उड़ा देते हैं, लेकिन यह बिल्कुल सही बात है। पत्ता गोभी ही नहीं कई और ऐसी चीजें हैं, जिनके सेवन से आपको नर्वस सिस्टम में संक्रमण हो सकता है। हरी मटर, गाजर, पालक, शिमला मिर्च, पत्ता गोभी, फूल गोभी, मूली और अलग-अलग तरह की पत्तेदार सब्जियों के खाने के वाकई कई फायदे हैं, लेकिन इन सब्जियों के खाने से आपको दिमाग में कीड़े वाली समस्या हो सकती है। इस बीमारी को मेडिकल भाषा में न्यूरोसिस्टिसकोर्सोसिस के नाम से जाना जाता है। न्यूरोसिस्टिसकोर्सोसिस दिमाग या नर्वस सिस्टम में संक्रमण से जुड़ी एक गंभीर स्थिति है, जो शरीर में टीनिया सोलियम नाम के परजीवी या उनके अंडे के प्रवेश के कारण होता है। ये परजीवी मिट्टी में पैदा होते हैं। जब आप मिट्टी में उगने वाली सब्जियों का सेवन करते हैं तो ऐसे में इन परजीवी और अंडों को निकलने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि ये सब्जियों के पत्तों और सतह पर रह सकते हैं।
पस्त करता पास्ता
पास्ता एक डिश है, इटली का प्रिय। हिंदुस्थान में भी इसका चलन बढ़ गया है। इटली में तो ये लोकप्रिय है ही। अब जब लोकप्रिय है तो इसकी कीमतें भी बढ़ गर्इं। सरकार तक हिल गई। सरकार को पास्ता की कीमतों के लिए विशेष बैठकें करनी पड़ रही हैं। है न दिलचस्प बात। इटली की सरकार ने देश के सबसे प्रिय और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण फूड्स में से एक, पास्ता की कीमतों में वृद्धि के कारणों की जांच के लिए संकट वार्ता बुलाई। देश के उद्यम मंत्री एडोल्फो उर्सो ने रोम में कानून निर्माताओं, पास्ता उत्पादकों और उपभोक्ता अधिकार समूहों के एक आयोग की अध्यक्षता की, जिसमें चर्चा की गई कि पास्ता की कीमतों को कम करने के लिए क्या किया जा सकता है। पस्त होता जा रहा पास्ता इटली की राष्ट्रीय समस्या बन गया है। एक उपभोक्ता अधिकार समूह असौटेंटी के अध्यक्ष फ्यूरियो ट्रूजी ने पिछले महीने एक बयान में कहा था कि औसत इतालवी हर साल लगभग २३ किलोग्राम (५१ पाउंड) पास्ता की खपत करता है। ट्रूजी ने कहा, ‘पास्ता इटालियंस द्वारा सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले फूड्स में से एक है, लेकिन पिछली फरवरी में यूक्रेन पर रूसी हमले ने पास्ता बनाने के लिए जरूरी चीजों की कीमतों की ‘सुनामी’ ला दी। हालांकि, आज स्थिति अलग दिखाई देती है। कुछ इनपुट लागतें गिर गई हैं।
खाट के ठाट
लीजिए, अब हमारे देश की खाट के ठाट हो गए हैं। भले ही हिंदुस्थानी पहचान वाली खाट यानी चारपाई अब आधुनिकता की बाढ़ में लोहे, लकड़ी के पलंगों में तब्दील हो गई है, मगर विदेशों में इसकी खूब मांग है। खासतौर पर अमेरिका में। यहां लाखों रुपए में एक खाट मिल रही है। जी हां, यह पता चला जब एक ऑनलाइन वेबसाइट पर कीमत देखी। अमेरिका में वैसी एक चारपाई की कीमत आपकी पांच महीने की सैलरी से ज्यादा हो सकती है। अगर आपकी सैलरी एक महीने की बीस हजार रुपए है, तो समझिए कि पूरी पांच महीने की सैलरी देकर भी आप अमेरिका में एक चारपाई नहीं खरीद सकते। ई-कॉमर्स वेबसाइट इट्सी पर चारपाई बिक रही है, जिसकी कीमत एक लाख रुपए या उससे भी ऊपर बताई जा रही है। यदि आप सूत से बुनी चारपाई लेते हैं, तो १ लाख १२ हजार ७५ रुपए पे करने पड़ेंगे, वहीं कलरफुल बुनाई वाला चारपाई सेट लेते हैं, तो उसकी कीमत एक लाख ४४ हजार से भी ज्यादा है। है न खाट के ठाट।
लेखक सम सामयिक विषयों के टिप्पणीकर्ता हैं। ३ दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं व दूरदर्शन धारावाहिक तथा डाक्यूमेंट्री लेखन के साथ इनकी तमाम ऑडियो बुक्स भी रिलीज हो चुकी हैं।