अनिल मिश्रा / उल्हासनगर
उल्हासनगर, शहाड तथा विट्ठलवाडी इन तीनों रेलवे स्टेशन के प्रबंधक कुत्ते, चोर और गुटखा खानेवालों से परेशान हैं। काफी प्रयास के बावजूद तीनों स्टेशन के प्रबंधक रेलवे प्रशासन द्वारा घोषित मूलभूत सुविधा देने में कहीं न कहीं अपने आपको फेल मानते हुए शिकायत लेकर आनेवालों से खुलकर आह्वान कर रहे हैं कि जितना अधिक हो सके उनकी शिकायत करें, ताकि उनका ट्रांसफर किसी दूसरे स्टेशन पर हो जाए।
एक स्टेशन प्रबंधक ने बताया कि उल्हासनगर मनपा, स्थानीय शहर पुलिस की नाकामी की सजा वे झेल रहे हैं। शहर में प्रतिबंधित गुटखा सरकार बंद नहीं करवा पा रही है। लोग गुटखा और पान खाकर लिफ्ट, स्वचालित सीढ़ियों, पानी पीने की जगहों पर थूक कर उन्हें गंदा कर रहे हैं। स्टेशन के सारे कार्यों को छोड़कर सुबह से ही सफाई कामगारों के पीछे लगना पड़ता है। चोरों ने भी नाक में दम कर दिया है। शौचालय में लगे नल गायब हो जाते हैं। अब स्थिति यह हो गई है कि स्टेशन के बाहर सफाईकर्मी की बजाय सुरक्षाकर्मी की ड्यूटी लगाई जाए। सवाल यह है कि जब सुरक्षाकर्मी शौचालय के सामने ड्यूटी देगा तो अन्य कीमती सामानों सहित रेल यात्रियों के जान-माल की सुरक्षा कौन करेगा? चलती गाड़ी से गुटखा, तंबाकू खाकर थूकते समय ट्रेन से गिरने या पोल से टकराने के कारण लोगों की मौत हो चुकी है। स्टेशन प्रबंधकों का कहना है कि गुटखा खाकर स्टेशन परिसर में प्रवेश करनेवालों को दंडित किया जाए। वहीं रेल प्रशासन का नियम कहता है कि थूकते समय पकड़कर व्यक्ति को दंडित करें। अब सवाल यह उठता है कि थूकने वाले के पीछे कितने कर्मचारी कहां-कहां खड़ा करें, जिससे उन्हें रंगे हाथों पकड़ा जा सके। इन स्टेशनों पर सफाई, गंदगी और बदबू एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है।
विट्ठलवाड़ी रेलवे स्टेशन प्रबंधक अनिल काले की माने तो उन्हें काफी यातना झेलनी पड़ रही है। स्टेशन के कर्जत की तरफ बनाए गए सामान्य रेल यात्री, महिला, दिव्यांग सुलभ शौचालय से आए दिन दो चार नल गायब रहते हैं, जिसके कारण शौचालय के ऊपर रखी गई पानी की टंकिया खाली हो जाती हैं। उसी तरह से पीने के पानी के कूलर सहित सामान्य पानी के भी नल गायब किए जाते हैं। नल चोरी जैसी स्थिति के चलते पीने के पानी की भी दिक्कत हो जाती है। इस बात की शिकायत मरम्मत विभाग से की जाती है, लेकिन सवाल यह उठता है कि कितने नल लगाए जाएं?