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नीतीश की नीति का डंक, खेतिहर होंगे तंग …बिहार के भूमिकरों की जाएगी ‘जमीन’!

भूमि सर्वेक्षण से बिहारियों की बढ़ी धड़कनें
सामना संवाददाता / पटना
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन दिनों बिहार के किसानों के दिल की धड़कनें बढ़ा दी हैं। बिहार के भूमि मालिकों के माथे पर पसीना आ गया है। दरअसल, नितिश सरकार के भूमि सर्वेक्षण की नीति से बिहार के जमीन मालिक डर गए हैं। उनकी जमीन जाने का खतरा बढ़ गया है। बिहार की नीतीश सरकार ने राज्य के ४५,००० से भी ज्यादा गांव में लैंड सर्वे यानी भूमि सर्वेक्षण कराने का काम २० अगस्त से शुरू कर दिया है, लेकिन आम ग्रामीण लोगों के मन में अपनी जमीन को लेकर कई तरह के सवाल हैं। जिन लोगों के पास ज्यादा जमीन है, उन्हें यह डर है कि कहीं सरकार उनकी जमीन ना ले। इसके अलावा जिन लोगों को जमीन सर्वे से जुड़ी सही जानकारी नहीं है, वे भी परेशान हो रहे हैं। सर्वेक्षण में लोगों को अपनी जमीन होने का प्रमाण देना होगा, उन्हें साबित करना होगा की जमीन उनकी है। जमीन के कब्जेदार को जरूरी प्रमाणपत्र देने होंगे, जो लोग जमीन के कागजात देने में असफल होंगे उनकी जमीन नियम के अनुसार ले ली जाएगी। मृतक व्यक्ति के नाम पर जो जमीन है, वो भी सरकार की झोली में जाएगी।
सर्वे के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स
बिहार में जमीन का सर्वे करवाने के लिए कुछ जरूरी कागजात देने होंगे। जमीन आपके नाम पर है तो आपको सिर्फ अपने नाम के कागज़ात देने होंगे, लेकिन अगर जमीन आपके दादा-दादी, माता-पिता या परिवार के किसी और सदस्य के नाम पर थी और अब वे नहीं हैं तो आपको उनके नाम के साथ-साथ अपने नाम के भी कागजात देने होंगे, उनके जमीन के पुराने रिकॉर्ड भी देने होंगे। जिसमें जमाबंदी या मालगुजारी रसीद शामिल है। इन रिकॉर्ड में जमीन की संख्या और साल का विवरण होना चाहिए। इसके अलावा अगर आपके पास खतियान की कॉपी भी है तो उसे दे सकते हैं।
क्या कहती है सरकार
जानकारी के मुताबिक, जमीनों का सर्वे होने से उनके मालिकों को मालिकाना हक मिल जाएगा। सरकार जमीन को छीन नहीं रही है, बल्कि सभी कागजात और नाम को अप टू डेट कर रही है। इस सर्वे के जरिए जमीन से जुड़े सारे रिकॉर्ड सही होंगे और मृतक की जगह जीवित व्यक्ति का नाम चढ़ेगा।

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