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राहुल गांधी के साथ खड़े हुए ‘मोदी के हनुमान’…चिराग ने जातीय जनगणना का किया समर्थन

-लेटरल एंट्री पर भी अलग थी राय

सामना संवाददाता / नई दिल्ली

चिराग पासवान ने कहा है कि जातीय जनगणना होनी ही चाहिए, ताकि उसके अनुपात में राशि आवंटित की जा सके। उस योजना के बारे में या उस जाति को मुख्यधारा से जोड़ने के बारे में, ये आंकड़े कम से कम सरकार के पास होने चाहिए।

लोकसभा चुनाव से पहले और वर्तमान राजनीतिक समीकरणों में जातिगत जनगणना का मुद्दा सबसे बड़ा होता दिख रहा है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी लगातार मांग करते रहे हैं कि देश में जातीय जनगणना कराई जाए। वहीं अब इस मुद्दे पर लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने खुलकर जातीय जनगणना कराने का समर्थन किया है।
एक तरफ जहां जातीय जनगणना की मांग को लेकर कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर दबाव बनाकर रखा है, तो दूसरी ओर बीजेपी इस मुद्दे पर कुछ भी खुलकर बोलने से बचती नजर आई है। वहीं एनडीए में शामिल एलजेपी (आर) के चीफ और खुद को पीएम मोदी का हनुमान बता चुके केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान इस मुद्दे पर सांकेतिक तौर पर नेता विपक्ष राहुल गांधी के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। दरअसल, आज जातीय जनगणना के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि मेरी पार्टी ने हमेशा अपना स्टैंड साफ रखा है कि वह जाति जनगणना के पक्ष में है। हम चाहते हैं कि जाति जनगणना हो। इसकी वजह यह है कि कई बार राज्य सरकार और केंद्र सरकार कई ऐसी योजनाएं बनाती हैं जो जाति को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं। उन योजनाओं को कमजोर वर्ग को मुख्यधारा से जोड़ने के ख्याल से बनाया जाता है। ऐसे में सरकार के पास उस जाति की जनसंख्या के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
गौरतलब है कि आज ही केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान एक बार फिर लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर चुने गए हैं। रांची में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक में उन्हें सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। बता दें कि चिराग की पार्टी ने इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव में उतरने का प्लान बनाया है। माना जा रहा है कि इसी को ध्यान में रखते हुए ही पार्टी की राष्ट्रीय कारयकारिणी की बैठक रांची में रखी गई है। खास बात यह है कि हाल में लेटरल एंट्री को लेकर मचे बवाल के बीच उन्होंने इस भर्ती प्रक्रिया का विरोध किया था। इसके अलावा एससी-एसटी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की क्रीमी लेयर बात का भी विरोध किया था।

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