सामना संवाददाता / यवतमाल
समान नागरिक संहिता को लेकर देश में जोरों पर बहस छिड़ी है। ‘एक देश और एक कानून’ के बारे में सोचने में कोई हर्ज नहीं है। हम इसे स्वीकार करेंगे लेकिन हम एक देश और एक पार्टी को कभी स्वीकार नहीं करेंगे… बिल्कुल नहीं, ऐसा जोरदार हमला करते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने कल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कड़ी चेतावनी दी। हिंदुस्थान की एकमात्र पार्टी भाजपा ही होनी चाहिए। बाकी सभी दलों को हम चलाएंगे। सबके मालिक की तरह कामकाज चल रहा है। भाजपा की तानाशाही को नाकाम करना ही होगा, ऐसी हुंकार उद्धव ठाकरे ने भरी।
उद्धव ठाकरे का विदर्भ का दो दिवसीय तूफानी दौरा कल से शुरू हुआ। इस मौके पर भगवा तूफान देखने को मिल रहा है। बंजारा समाज की काशी के रूप में विख्यात पोहरादेवी के दर्शन करके उन्होंने अपनी यात्रा शुरू की। इस मौके पर बंजारा समाज ने पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे को धर्माभिमानी की उपाधि से सम्मानित किया। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने दिग्रस में यवतमाल और वाशिम जिलों के शिवसैनिकों की एक सभा को संबोधित किया। अपने भाषण में उद्धव ठाकरे ने भाजपा की दलीय फोड़ाफोड़ी वाली राजनीति और गद्दारों पर कड़े शब्दों में हमला बोला।
भाजपा की तानाशाही को उखाड़ फेकेंगे!! पोहरादेवी का दर्शन करके किया शंखनाद, भाजपा अब आरोप लगाने लायक नहीं रही
भाजपा को अब दूसरों पर आरोप लगाना बंद कर देना चाहिए। भाजपा अब बात करने लायक नहीं रह गई है। अब उन्हें अपने घरों में घुसे बिकाऊ लोगों पर ध्यान देना चाहिए इसलिए दूसरों की आलोचना नहीं करनी चाहिए। इस तरह से यवतमाल में पत्रकारों से बात करते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने तीखा हमला बोला।
महाराष्ट्र दौरे की शुरुआत पोहरादेवी के दर्शन के साथ करने के पीछे एकमात्र उद्देश्य यही है कि पोहरादेवी के आशीर्वाद के साथ शुरू किया जाए। मैंने इस यात्रा के दौरान सार्वजनिक सभाओं पर जोर नहीं दिया है। क्योंकि ग्रामीण भागों में किसान मेरे शिवसैनिक हैं। उन्हें अब खेतों में काम करना है। इसलिए मैं उनके बारे में सोचूंगा ही, ऐसा उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट किया।
राष्ट्रवादी पार्टी के नाम और चुनावचिह्न पर किए गए अजीत पवार के दावे की उद्धव ठाकरे ने चुटकी लेते हुए कहा कि पार्टियां टूटती थीं, अब पार्टियां भगाई जा रही हैं, लेकिन मेरी पार्टी भगाए जाने के बाद भी मुझे लोगों का समर्थन मिल रहा है। हर ओर लोग मेरे साथ होने की बात कह रहे हैं। पार्टी को लेकर भागने की परंपरा महाराष्ट्र के लिए घातक है। लेकिन लोग मुझसे कह रहे हैं कि हम आपके साथ हैं, ऐसा उद्धव ठाकरे ने कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने बहुत स्पष्ट शब्दों में अपना पैâसला सुनाया है। इसलिए विधानसभा अध्यक्ष को उस नतीजे के दायरे में ही निर्णय लेना होगा। उद्धव ठाकरे ने यह भी साफ किया कि अगर इससे कुछ अलग हुआ तो हम दोबारा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
अजीत पवार की बगावत पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि पहले पार्टी तोड़ी जाती थी, अब पार्टी भगाई जा रही है। हालांकि, महाराष्ट्र की जनता इससे सहमत नहीं है। इसलिए शिवसेना की बगावत के बाद कई लोग मुझसे कह रहे हैं कि उद्धव जी, हम आपके साथ हैं। पार्टी भगाने वालों से मुझे बस इतना ही कहना है कि आप फसल लेकर जा सकते हो, लेकिन खेती तो हमारे ही पास है और अब ये देखो कि जो फसल तुमने चुराई उसे समर्थन मूल्य मिलता है क्या? ऐसा तंज भी उन्होंने शिंदे गुट पर कसा। इसके अलावा, कार्यकर्ताओं की राय क्या है, यह जानने के लिए मैं महाराष्ट्र के दौरे पर निकला हूं, यह उन्होंने स्पष्ट किया।
अमित शाह ने वचन निभाया होता तो ये जोड़-तोड़ नहीं करनी पड़ी होती
वर्ष २०१९ में अमित शाह ने अपना वादा निभाया होता तो आज ये जोड़-तोड़ का धंधा करने की जरूरत नहीं पड़ी होती। ऐसे शब्दों में उद्धव ठाकरे ने आलोचना करते हुए कहा है कि अगर अमित शाह ने अपना वादा नहीं तोड़ा होता तो भाजपा और शिवसेना दोनों के मुख्यमंत्रियों को ढाई-ढाई साल मिले होते।
लोकसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में वेंâद्रीय नेताओं द्वारा महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष निर्माण कराया जा रहा है, क्या आपको ऐसा लगता है? यह पूछे जाने पर उद्धव ठाकरे ने कहा, और नहीं तो क्या, इसका दूसरा क्या अर्थ हो सकता है? अब, मैं उनके (भाजपा) द्वारा तोड़-फोड़ के जो धंधे किए जा रहे हैं, उस बारे में एक-एक करके कुछ बातें रखने जा रहा हूं। उस वक्त मैंने और अमित शाह ने फॉर्मूला तय किया था कि ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री का पद शिवसेना और भाजपा के पास होगा। यह बात मैं पहले भी शिवाजी पार्वâ में अपने माता-पिता की शपथ खाकर कह चुका हूं।
आज भी पोहरादेवी की कसम खाकर कहता हूं कि २०१९ में ढाई साल शिवसेना का और ढाई साल भाजपा का मुख्यमंत्री बनना तय था। यदि अमित शाह ने पूर्व निर्धारित अनुसार बर्ताव किया होता तो वे ढाई-ढाई साल के लिए भाजपा और शिवसेना के मुख्यमंत्री बने होते, लेकिन आज भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं को दूसरे दलों के नेताओं का बोझ ढोना पड़ रहा है। उद्धव ठाकरे ने भाजपा के उन पुराने वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा कि जिन्होंने पूरी जिंदगी भाजपा के लिए खस्ता खाकर दरियां बिछार्इं, उन्हें अब बाहर से आए नेताओं की आवभगत करनी पड़ रही है।
उद्धव ठाकरे का नागपुर में तूफानी स्वागत
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे का कल नागपुर एयरपोर्ट पर शिवसैनिकों ने तूफानी स्वागत किया। इस दौरान विधान परिषद के विरोधी पक्षनेता अंबादास दानवे, नागपुर ग्रामीण संपर्वâप्रमुख बाला राऊत, सतीश हरडे, नागपुर जिलाप्रमुख प्रमोद मानमोडे, विशाल बरबटे, शहरप्रमुख नितिन तिवारी, महिला आघाड़ी की सुरेखा खोब्रागडे, बोडखे, माधुरी पालीवाल आदि उपस्थित थे। ‘कौन आया रे कौन आया, शिवसेना का बाघ आया, उद्धवसाहेब आगे बढ़ोे’ की घोषणाओं से समूचा एयरपोर्ट परिसर गुंजायमान हो गया। एयरपोर्ट से उद्धव ठाकरे यवतमाल की ओर रवाना हो गए।
शिवसेना का हिंदुत्व होर्डिंग तक ही सीमित नहीं -दानवे
शिवसेना हिंदुत्व प्रोजेक्ट कर रही है, ऐसा कहने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि शिवसेना और हिंदुत्व ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, ऐसा कहते हुए शिवसेना का हिंदुत्व केवल होर्डिंग तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसकी ज़ड़ें जमीन के भीतर तक पैâली हुई हैं, ऐसा पलटवार विधान परिषद में विरोधी पक्षनेता अंबादास दानवे ने किया। रविवार, ९ जुलाई से शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे विदर्भ के दो दिवसीय दौरे पर आए हैं। इस दौरे में दानवे भी शामिल हुए हैं।
दानवे ने कहा कि शिवसेना को हिंदुत्व प्रोजेक्ट करने की या हिंदुत्व को लेकर ढोंग करने की आवश्यकता नहीं है। हिंदुत्व का इस्तेमाल कौन, किस तरीके से राजनीति के लिए कर रहा है ये सारी दुनिया को पता है, ऐसा तंज भी उन्होंने कसा। विदर्भ का दौरा संगठनात्मक निर्माण के लिए है, किसी व्यक्ति के लिए नहीं है इसलिए संजय राठौड़ के निर्वाचन क्षेत्र में यह दौरा है, ऐसा कहने का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि यह शिवसेना का निर्वाचन क्षेत्र है। कोई भी निर्वाचन क्षेत्र किसी की जागीर नहीं हो सकता है। उद्धव ठाकरे शिवसेनापक्षप्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री हैं, इस नाते वे राज्य के ४८ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं।
शिवसेनाप्रमुख और पक्षप्रमुख ही शिवसेना का चेहरा
दानवे ने यह भी कहा कि शिवसेना नेताओं के बल पर चलनेवाला संगठन नहीं, बल्कि शिवसेना शिवसैनिकों के बल पर चलती है। विदर्भ में चहुंओर शिवसैनिकों की ताकत है। कोई नेता चला जाए तब भी शिवसेना नहीं रुकती। कार्यकर्ता को सबक के बिना भी लड़ना आना चाहिए। बाजीप्रभु देशपांडे ने बिना सीखे भी लड़ाई लड़ी थी इसलिए शिवसैनिक निष्ठा से काम करते हैं। हमें किसी भी चेहरे की जरूरत नहीं है। शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे और पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ही शिवसेना का चेहरा हैं।
वो शिवसैनिकों की भावना…
भावी प्रधानमंत्री के तौर पर उद्धव ठाकरे की होर्डिंग अमरावती में लगी है। उत्साही कार्यकर्ता ऐसा करते हैं। इस देश में कौन और कब प्रधानमंत्री बनेगा? यह कहा नहीं जा सकता। चंद्रशेखर, इंद्रकुमार गुजराल प्रधानमंत्री बनेेंंगे, इसका किसी ने विचार भी नहीं किया था। घर में सोए पी.वी. नरसिंह राव को उठाकर प्रधानमंत्री बना दिया गया था। शिवसैनिकों ने अपनी भावना व्यक्त की है, ऐसा दानवे ने कहा।