• हिंदुस्थान में मौतों का बना दूसरा प्रमुख कारण
सामना संवाददाता / मुंबई
हिंदुस्थान में स्ट्रोक सर्जिकल स्ट्राइक कर रहा है। देश में जहां हर ४० सेकेंड में एक व्यक्ति ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हो रहा है, वहीं प्रत्येक चार मिनट में एक व्यक्ति की मौत स्ट्रोक के कारण हो रही है। ब्रेन स्ट्रोक हिंदुस्थान में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। यह जानकारी दिल्ली एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की प्राध्यापक डॉ. एम.वी. पद्मा श्रीवास्तव ने दी है। उन्होंने देश के गरीब क्षेत्रों में स्ट्रोक की देखभाल और स्ट्रोक के संसाधनों की कमी के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि हिंदुस्थान में हर साल ब्रेन स्ट्रोक के लगभग १.८५ लाख मामले सामने आते हैं।
`ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज’ के अनुसार, हिंदुस्थान में लगभग ७०.९ प्रतिशत स्ट्रोक से होनेवाली मौतें स्ट्रोक के कारण होती हैं, जबकि ७७.७ प्रतिशत विकलांगता का कारण बनती हैं। ये आंकड़े हिंदुस्थान के लिए चिंताजनक हैं, क्योंकि ज्यादातर लोग अभी भी ऐसी व्यवस्था में जी रहे हैं, जिसमें अच्छे (स्वास्थ्य) संसाधनों का अभाव है। जीबीडी २०१० स्ट्रोक प्रोजेक्ट के अनुसार, २० वर्ष से कम उम्र के बच्चों में ५०.२ लाख यानी ३१ प्रतिशत स्ट्रोक के मामले दिखाई दिए हैं।
बुनियादी ढांचे की कमी से जूझ रहे देश के कई अस्पताल
ब्रेन स्ट्रोक को लेकर इस तरह की स्थिति होने के बावजूद हिंदुस्थान के कई अस्पतालों में आवश्यक बुनियादी ढांचा नहीं है, जहां इन गंभीर स्थितियों से समय रहते निपटा जा सके। देश के दूर-दराज इलाकों में इलाज के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। देशभर में विशेषकर सरकारी अस्पतालों में ब्रेन स्ट्रोक सेवाओं के कई पहलुओं की कमी है। डॉ.पद्म श्रीवास्तव ने सलाह देने हुए कहा है कि जहां स्वास्थ्य ढांचा कमजोर है, वहां ऐसे मामलों को रोकने के लिए टेलीस्ट्रोक मॉडल को हिंदुस्थान में अपनाया जाना चाहिए।
४.५ घंटे माना जाता है गोल्डन विंडो
डॉ. श्रीवास्तव का कहना है कि स्ट्रोक घातक हो सकता है अथवा पक्षाघात का कारण बन सकता है। इसलिए जल्द-से-जल्द इलाज कराना महत्वपूर्ण है। स्ट्रोक के उपचार के लिए गोल्डन विंडो को ४.५ घंटे माना जाता है। इसके बाद उपचार से न्यूरॉन्स को हुए नुकसान को ठीक करने में मदद नहीं मिलेगी। जब समय पर स्ट्रोक की देखभाल की बात आती है तो हिंदुस्थान को शहरी और ग्रामीण आबादी के बीच बुनियादी ढांचे की कमी का सामना करना पड़ता है।