सामना संवाददाता / मुंबई
बदलापुर स्थित एक स्कूल में बच्चियों के साथ हुए कुकर्म के बाद घाती सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी। इसके बाद हरकत में आई इस सरकार के शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी स्कूलों को सुरक्षा के समुचित उपाय करने का निर्देश दिया था। इस आदेश को दिए काफी समय बीत चुका है, लेकिन अभी भी यह कागजों में धूल फांक रहा है। इन सबके बीच एक बार फिर से शिक्षा आयुक्तालय ने राज्य के सभी विभागीय उपनिदेशकों को स्कूलों की सुरक्षा के बारे में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।
उल्लेखनीय है कि बदलापुर के एक स्कूल में नाबालिग छात्राओं के साथ यौन शोषण की घटना घटी थी। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने आलोचनाओं से बचने के लिए सभी स्कूलों को सुरक्षा उपाय करने के सख्त आदेश जारी किए थे। इसके साथ ही स्कूलों में सीसीटीवी कार्यान्वित करने, फुटेज की नियमित जांच करने, सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने आदि जैसे विभिन्न मुद्दों को अधोरेखित किया था। इसी के साथ ही विपक्ष के हमलों से बचने के लिए स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों को लाइन हाजिर करने का सरकारी फैसला लिया था। लेकिन समय गुजरने के बाद अब बदलापुर हादसे को विभाग भूल चुका है। इसीलिए स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था को नजरअंदाज किया जा रहा है।
ये भी दिए गए थे सुझाव
सरकार के इस फैसले के मुताबिक, सभी स्कूलों में सभी जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने, गैर शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति में सावधानी बरतने, स्कूलों में शिकायत पेटी लगाने, स्थानीय स्तर पर छात्र सुरक्षा समिति की स्थापना करने जैसे कुछ सुझाव थे। इन निर्देशों के क्रियान्वयन के लिए एक माह की अवधि भी दी गई थी। इस मामले को दो महीने हो गए हैं और अब इस संबंध में पुणे के शिक्षा आयुक्तालय को कई शिकायतें मिली हैं।
कार्रवाई करने की समय सीमा
दूसरी ओर काफी समय गुजरने के बाद चुनाव में एक बार फिर से शिक्षा आयुक्तालय की नींद खुली है। इसके साथ ही आयुक्तालय सभी विभागीय शिक्षा उपनिदेशकों को इस संबंध में सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। अब सभी विभागों में उपनिदेशकों को एक बार फिर स्कूलों का निरीक्षण कर इस संबंध में तथ्यात्मक रिपोर्ट देनी होगी। दिलचस्प बात यह है कि विभागीय उपनिदेशकों को अगले दो दिनों में इस संबंध में कदम उठाने की समय सीमा दी गई है।