विमल मिश्र
मुंबई
खंडाला-लोणावला ‘सह्याद्री का आभूषण’ कहलाता है तो ऐसे ही नहीं। हर मुंबईकर की ख्वाहिश यहां मॉनसून की रिमझिम में भीगने की होती है और हर सैलानी का सपना यहां आने का। सुना नहीं आमिर खान का ‘आती क्या खंडाला’…!
मॉनसून की ठंडी फुहारें। पहाड़ियों, घाटियों, दर्रों और मैदानों ने हरी शॉल ओढ़ रखी है। चहचहाते पक्षियों का कलरव और जहां देखो, ऊंचाई से गिरते दूधिया झरने और झीलों में अठखेलियां करते हनीमूनर्स और सैलानी। बादल बिल्कुल नीचे तक उतर आए हैं। भुशी डैम पर पांव रखने की जगह नहीं है। तपते मुंबई की भीड़-भाड़ से निकलकर खंडाला- लोणावला पहुंचते ही लगता है, जैसे स्वर्ग में आ गए हों।
खंडाला-लोणावला जुड़वां सैरगाह हैं-मुंबई (९६ किलोमीटर दूर) और पुणे दूरी ६४ किलोमीटर) के बीच होने से हमेशा आबाद। आस-पास घूमने के लिए कार्ला, बेडसा व भाजा की गुफाएं और कर्नाला पक्षी अभयारण्य, इमैजिका फन पार्क व आंबी वैली। वालवण, शिरोटा व वेडसा बांध। श्रीवर्धन, मनरंजन, लोहागढ़, तिकोना, तुंग, देवगिरी व विसापुर किले। यह भारतीय नौसेना का प्रशिक्षण ठिकाना आईएनएस शिवाजी और मशहूर टी. वी. सीरियल ‘बिग बॉस’ का घर है। रेलवे रिवर्सिंग स्टेशन, वैक्स म्यूजियम, नारायणी धाम मंदिर के अलावा और भी बहुत कुछ है। दो और खास जगहें, जिनके बारे में बहुत कम ही लोगों को मालूम है-जेवियर्स बंगला और १८९६ के जमाने का प्राचीन कारागृह, जहां अंग्रेजों ने सेंट जेवियर्स कॉलेज के संस्थापक को युद्धबंदी बना कर रखा था।
एक-दूसरे से महज पांच किलोमीटर दूर खंडाला-लोणावला में देखने के लिए तो और भी ज्यादा है-राजमाची पॉइंट, लायंस पॉइंट, नेकलेस पॉइंट, अमृतांजन पॉइंट और टाइगर पॉइंट या टाइगर्स लीप (दूर से छलांग लगाते हुए किसी बाघ की तरह दिखने के कारण) के नजारे। कुणे वॉटरफॉल पर मस्ती। डेल्ला एडवेंचर पार्क पर एडवेंचर स्पोर्ट्स। कामशेत पर पैराग्लाइडिंग। भीमाशंकर तक वैंâपिंग और ट्रैकिंग। पावना, तुंगारली व लोणावला झीलों पर वैâनोइंग (डोंगी चलाने) और बोटिंग। सीधी २,५०६ फुट की चढ़ाई वाली ‘ड्यूक्स नोज’ जैसी चोटियों पर हाइकिंग, गॉर्ज क्रॉसिंग, रॉक क्लाइंबिंग और गॉर्ज क्लाइंबिंग। (‘ड्यूक्स नोज’ को नाम मिला है ड्यूक ऑफ वेलिंगटन के नाम पर और आकार नाक की शेप के सांप के फन वाले आकार से। ‘नागफनी’ इसका लोकल नाम है।)
खंडाला-लोणावला में खाने के लिए खास है मगनलाल की चिक्की और फज। जैम, जेली और सिरप की दुकानें तो आपको यहां हर कोने में मिल जाएंगी।
ब्रिटिश गवर्नर की खोज
शब्द लोणावला, प्राकृत भाषा के दो शब्दों ‘लेण’ और ‘अवली’ से मिल कर बना है। जहां ‘लेण’ का अर्थ पत्थरों को काट कर बनाया आश्रय स्थल है, वहीं ‘अवली’ मतलब शृंखला। सामरिक महत्व का लोणावला बहुत समय यादव वंश के शासन का हिस्सा रहा। मुगलों के आधिपत्य में आने से पहले अपने किलों और मावला योद्धाओं के बूते पर मराठा और पेशवा साम्राज्य के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा। यहां रेल आने तक खोपोली से खंडाला तक मनुष्य और घोड़ा चालित खटारों का उपयोग वाहन के रूप में होता था।
भोर घाट के छोर पर स्थित समुद्र से २,०४७ फुट ऊंचे पुणे के इन दोनों पर्वतीय स्थलों की खोज १८७१ में बॉम्बे प्रेसिडेंसी के तत्कालीन गवर्नर लॉर्ड माउंटस्टुअर्ट एलफिंस्टन ने की थी। अंग्रेजों ने इन्हें सजा-संवारकर सैरगाह बनाया। लगभग एक लाख की आबादी वाला यह क्षेत्र म्युनिसिपल काउंसिल से शासित है। मुंबई-पुणे के बीच चलने वाली तमाम ट्रेनें लोणावला स्टेशन पर रुकती हैं, जबकि सड़क मार्ग से यहां पहुंचने का रास्ता है मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे, मुंबई-पुणे हाइवे और मुंबई-बंगलुरु हाइवे। खंडाला-लोणावला आने का सर्वश्रेष्ठ समय अक्टूबर से मई का माना जाता है। खंडाला-लोणावला लोग गर्मी से बचने के लिए आते हैं, पर यहां की बारिश और सर्दियां भी कम खूबसूरत नहीं।
पर, खंडाला-लोणावला भी अब बदलने लगा है। पारिस्थितिकीय ने खंडाला-लोणावला को भी प्रभावित किया है। हरे-भरे पठार और लाल मिट्टी के रास्ते अब काले, तारकोली, कंकरीटी रंग के हो चले हैं। गर्मियों में अब यह कभी-कभी पड़ोसी मुंबई और पुणे जितना ही तपता है। मन को गहराई तक छूने वाली पहाड़ की शांति अब पहले जैसी नहीं रही। अराजक निर्माण नैसर्गिक सुंदरता बिगाड़ रहे हैं। शरारती बंदर खंभों पर चढ़कर बिजली की सप्लाई बाधित करने लगे हैं, जिससे आए-दिन खंडाला में ट्रेन सेवा बाधित होने लगी है और यहां के एक इलाके को ‘मंकी हिल’ नाम मिल गया है। खंडाला स्टेशन पवन बिजली और टर्बाइनों से बिजली की अपनी जरूरत पूरी करने लगा है।
(लेखक ‘नवभारत टाइम्स’ के पूर्व नगर
संपादक, वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं।)