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संडे स्तंभ : ऐसे कैसे बचेंगे बगीचे!

विमल मिश्र
मुंबई

मुंबई में १,३०० से ज्यादा उद्यान हैं, सबसे अधिक उद्यान पश्चिमी उपनगरों में। इसका बजट २५० करोड़ रुपए से ज्यादा का है। इसमें लगभग ५० करोड़ रुपए निजी पार्टीज को रखरखाव के लिए है। ये उद्यान गंदगी, सुरक्षा, अतिक्रमण और सुविधाओं के अभाव जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इनका कारण है बंदइंतजामी।

गंदगी, उजाड़ होती हरियाली, बंद लाइट्स, टूटते फर्श, बेंचें, रेलिंग्स और फूटते फव्वारे। प्राथमिक उपचार, सुरक्षा, पार्विंâग, बच्चों व बुजुर्गों के लिए सुविधाओं का अभाव, पेयजल और शौचालय की व्यवस्था ठीक नहीं। फंड की किल्लत के बावजूद बीएमसी अगर निर्धारित मामूली बजट भी खर्च कर पाने में मजबूर हो तो मुंबई के बाग-बगीचों के भगवान ही मालिक हैं। मिसालों की कमी नहीं। रखरखाव के अभाव में करीब ९० वर्ष पुराने ग्रेड-२ए के माटुंगा के विख्यात हेरिटेज फाइव गार्डंस और मुंबादेवी गार्डन से म्यूजिकल फाउंटेन, छिड़काव की मशीनें और झूले ही चोरी चले गए। सवा करोड़ रुपए खर्च करके जिस गांवदेवी गार्डन को रीनोवेट किया गया, वह अब बच्चों के बजाय जुआरियों के काम आने लगा है। कालीना में मुंबई विश्वविद्यालय के पास एक अच्छा-खासा बगीचा कब्रिस्तान में बदल गया। सांताक्रुज में बुजुर्गों के लिए लिंकिंग रोड का गार्डन डं‌पिंग ग्राउंड बन गया। १० एकड़ में पैâला दादर का शानदार प्रमोद महाजन उद्यान को तैयार होने के बावजूद उद्घाटन के लिए लंबी बाट जोहनी पड़ी।
परेशानियों की कमी नहीं। कई बागीचों में हरियाली से ज्यादा आपको र्इंटें नजर आ जाएंगी। जोगेश्वरी के हेमंत करकरे उद्यान और मुलुंड कॉलोनी के पार्क में रात को जरायमपेशा तत्वों का कब्जा हो जाता है। माटुंगा के होमवजीर गार्डन जैसे कई गार्डन रिक्रिएशन ग्राउंड बनाम प्लेग्राउंड की लड़ाई में उलझ गए। टाटा गार्डन, भूलाभाई देसाई रोड का बड़ा हिस्सा कोस्टल रोड की भेंट ही चढ़ गया।
सिटीस्पेस की को-कन्विनर नयना कठपालिया बताती हैं, ‘बीएमसी को अपना ध्यान पैंâसी कामों से हटाकर बागवानी जैसे कामों में लगाना चाहिए।’ यह समझ में आने वाली बात नहीं है कि एक ओर बीएमसी साधनों के अभाव में बजट में कटौती करने को मजबूर हो जाती है, तो दूसरी ओर गार्डन विभाग के बजटीय आवंटन की ज्यादातर राशि लैप्स हो जा रही है। गार्डन के रखरखाव का काम प्राइवेट एजेंसियों को दिए जाने पर भी प्रश्न उठते रहे हैं। यह परखी हुई बात है कि कांट्रैक्टर चलताऊ काम करते हैं। ऐसे में कई गार्डन के सौंदर्यीकरण पर खर्च करोड़ों रुपए बेकार हो गए हैं। वृक्ष प्राधिकरण की कार्यक्षमता भी सवालों के घेरे में है।
अतिक्रमण दूसरी बड़ी परेशानी है। हालत यह है कि मुंबई हाई कोर्ट को महानगरपालिका से पूछना पड़ा है ‌कि क्या उसके कुछ बगीचों पर बाहरी लोगों और संस्थाओं का कब्जा है? अतिक्रमण करने वालों में हॉकर्स और फुटपाथ व झोपड़पट्टियों के बाशिंदे ही नहीं, मोबाइल कंपनियां भी हैं। कुछ गार्डंस में तो आपको सिर ताने बदसूरत ४जी टावर्स भी नजर आ जाएंगे। दूसरी ओर यह भी शिकायत है कि कफ परेड जैसे पॉश इलाकों के उद्यानों में आम लोगों को भीतर आने ही नहीं देते। इन्हें यहां की रेजिडेंट असोसिएशनों ने केवल अपने मेंबर्स के ‌लिए रिजर्व कर रखा है। दिलचस्प बात यह है कि ‌इन बगीचों में कुछ बीएमसी की अपनी ही जमीन पर हैं। बीते बरसों में इस तरह के कई विवाद उठे हैं। जनता के दबाव में जहां गोद दिए गए बाग वापस ले लिए गए हैं, वहीं बगीचों को निजी हाथों में न सौंपने का निर्णय किया गया। नागरिकों के दबाव में हाई कोर्ट के ही आदेश पर मजबूर होकर नरीमन पॉइंट पर एक उद्यान के निर्माण के लिए सरकार को अपने कुछ कार्यालयों सहित कुछ राजनीतिक दलों के कार्यालयों को ध्वस्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
ओपन स्पेस को तरसता शहर
मुंबई प्रति व्यक्ति ओपन स्पेस की उपलब्धता के हिसाब से दुनिया के सबसे वंचित शहरों में से एक है। मुंबई में प्रति १,००० व्यक्ति केवल ०.०३ एकड़ ओपन स्पेस उपलब्ध है- विश्व के बड़े शहरों में संभवत: सबसे कम। मुंबई में इस समय करीब दो से साढ़े तीन हजार ओपन स्पेस इस वक्त अतिक्रमण का शिकार बताए जाते हैं, जिनमें गार्डन बड़ी तादाद में हैं।
शहर में मोटे तौर पर गार्डन की संख्या १,३०० बताई जाती है, जो करीब उसकी सवा दो करोड़ से ज्यादा आबादी के लिहाज से काफी कम है। इसे देखते हुए बहुत समय से मांग की जा रही थी कि शहर में गार्डन को पूरे दिन के लिए खुला रखा जाए। ज्यादा दिन नहीं बीते, जब गार्डन दिन १० बजे से शाम चार बजे के बीच बंद रखे जाते थे। इनके पीछे पॉप्युलर तर्क यह था कि उसके मेंटिनेंस के लिए वक्त चाहिए। …कि सुनसान वक्त में इसके खुला होने का फायदा प्रेमी जोड़े और बेघर लोग उठाएंगे। …कि इससे चोर-उचक्कों, ड्रग एडिक्ट, जुआरियों, बगैरह का खतरा बढ़ जाएगा। नागरिक संगठनों के विरोध पर बीएमसी को इसे बदलने को मजबूर होना पड़ा। फिलहाल, इन्हें खुला रखने का वक्त है सुबह पांच से दोपहर एक बजे व शाम तीन से रात १० बजे और शनिवार, रविवार और सार्वजनिक छुट्टियों के दिन सुबह पांच बजे से रात १० बजे। कूपरेज बैंडस्टैंड गार्डन और टाटा सहित अब सांस्कृ‌तिक गतिविधियों के लिए पूरा समय २३ बगीचे २४ घंटा खुले रहेंगे। शिकायत है कि कई उद्यानों में नए समय की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है, जबकि कई उद्यान शनिवार, रविवार और सार्वजनिक छुट्टियों के दिन दोपहर में बंद पाए जाते हैं।
उम्मीद अभी है बाकी
हताशा के ऐसे माहौल में मोहम्मद अली रोड पर मोहम्मदी मंजिल जैसी निजी पहलें ढाढस बंधाने वाली हैं। मोहम्मदी मंजिल पर खिले ४० से ज्यादा किस्म के फूल, पौधे, सब्जियां और वनस्पतियों को देखकर यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि उसका खाद-पानी किचन वेस्ट होगा और यह सब १,२०० फुट की उस बिल्डिंग के टेरेस पर उगा होगा, जो जे.जे. फ्लाईओवर से ठीक सटी है। ‘प्रâेश एंड लोकल’ मुंबई में ऐसे कई गार्डन विकसित किए गए हैं। मलबार ‌हिल में गोदरेज गार्डन, पैट्सी मिस्त्री गार्डन और लीला पटेल और पद्मा शाह के बोंसाई बगीचे अपनी सुंदरता के साथ सुव्यवस्था के लिए भी जाने जाते हैं। शहर के कुछ सबसे सुव्यवस्थित पार्क निजी ट्रस्टों के ताबे में हैं।
बांद्रा के डिमांडे रोड उद्यान, मुलुंड का स्वप्न नगरी गार्डन और पाली हिल गार्डन सहित कई पार्क ऐसे हैं, जो सिर्फ स्थानीय नागरिकों की पहल से ही जिंदा हैं। डंपिंग ग्राउंड से गार्डन बना चेंबूर का प्रियदर्शनी पार्क कामयाबी की उन मिसालों में है, जिन पर बीएमसी का गार्डन डिपार्टमेंट भी अपनी पीठ थपथपा सकता है। छह करोड़ रुपए के खर्च के साथ बोटॉनिकल गार्डन और नर्सरी से सज्ज यह गार्डन मुंबई का इकलौता ऐसा तफरीहगाह बन गया है, जहां आपको छत्रपति शिवाजी महाराज के तमाम किलों के प्रतिरूपों के दर्शन मिलेंगे। मालाड लिंक रोड पर इनफिनिटी‌ मॉल के पास ६.५ एकड़ क्षेत्र में पैâला विधायक असलम शेख द्वारा विकसित गार्डन बीएमसी का ‘वन’ थीम का पहला गार्डन है, जिसमें बटरफ्लाई पार्क और लोटस गार्डन के साथ ३,४०० किस्म के पेड़ मौजूद हैं। बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया, ‘सड़कों और फुटपाथों के इर्द-गिर्द सौ के करीब छोटे-छोटे बाग-बगीचे हैं। अतिक्रमण के डर से इन्हें बहुत समय से बंद रखा गया है। अब इन्हें भी खोला जा रहा है।’ पड़ोसी ठाणे और नई मुंबई के गार्डन को लेकर भी कई योजनाएं बनाई गई हैं।
कुछ हालिया कदम
-बीएमसी ने ऐसे करीब ३५ नए गार्डन विकसित किए हैं, जिनमें आठ थीम पार्क होंगे। सो दादर में संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की थीम पर उद्यान बन रहा है, अंधेरी में नक्षत्रों और म्यूजिक की थीम वाला बाग, मालाड में रोज गार्डन और चर्नी रोड में बटरफ्लाई पार्क।
-सड़क पर चलने वाले भी उनकी भीतरी खूबसूरती देख सकें लंदन व पेरिस की तर्ज पर ऐसे २० ‘सी थ्रू’ गार्डन बनाने का निर्णय।
-दादर टी फ्लाईओवर सहित २६ फ्लाईओवरों और स्कॉईवॉक्स के बीच और नीचे भी कई जगह और पार्किंग लॉट।
-वर्षा का जल संचित करने के लिए कई बागों में पर्कोलेशन पिट्स बनाई गई हैं।
-२५ करोड़ रुपए की लागत से चार थीम पार्क विक्रोली में बेयरफुट मे‌डिटेशन पार्क, घाटकोपर में साइंस पार्क, कांदिवली में ट्रैफिक पार्क और दहिसर में मल्टीपर्पज स्पोर्ट्स क्लब बनाने की योजना है।
-मेट्रो और मोनो रेल के पिलर्स पर भी वर्टिकल गार्डन बनाने की योजना है।
-हर बगीचे में अब शिकायत पत्रिका रखने का निर्णय किया गया है।
(लेखक ‘नवभारत टाइम्स’ के पूर्व नगर
संपादक, वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं।)

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